दिल बड़ी चीज़ है बचा रखिए
हां, मगर रास्ता खुला रखिए
शर्त्त है वस्ल के लिए उनकी
'घर शहंशाह से बड़ा रखिए'
दें मुनासिब जगह रक़ीबों को
बज़्म का क़ायदा बना रखिए
आज पूरी न हों तो कल होंगी
हसरतों को हरा-भरा रखिए
गर दुआ चाहिए फ़क़ीरों की
घर जलाने का हौसला रखिए
रू ब रू है निज़ाम क़ातिल का
लड़ न पाएं तो चुप लगा रखिए
आएं तब ही हुसैन की सफ़ में
जब शहादत का माद्दा रखिए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : वस्ल ; मिलन; मुनासिब : समुचित; रक़ीबों : प्रतिद्वंदियों; बज़्म : सभा, चर्चा करने का स्थान, संसद; क़ायदा : नियम; हसरतों : इच्छाओं; रू ब रू : प्रत्यक्ष, सम्मुख; निज़ाम : प्रशासन, सरकार; हुसैन : हज़रत इमाम हुसैन अ.स., कर्बला के न्याय युद्ध में जिन्हें यज़ीद की सेनाओं ने शहीद कर दिया था; सफ़ : नमाज़ पढ़ने के लिए लगाई जाने वाली पंक्ति; शहादत : बलिदान; माद्दा : क्षमता ।
हां, मगर रास्ता खुला रखिए
शर्त्त है वस्ल के लिए उनकी
'घर शहंशाह से बड़ा रखिए'
दें मुनासिब जगह रक़ीबों को
बज़्म का क़ायदा बना रखिए
आज पूरी न हों तो कल होंगी
हसरतों को हरा-भरा रखिए
गर दुआ चाहिए फ़क़ीरों की
घर जलाने का हौसला रखिए
रू ब रू है निज़ाम क़ातिल का
लड़ न पाएं तो चुप लगा रखिए
आएं तब ही हुसैन की सफ़ में
जब शहादत का माद्दा रखिए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : वस्ल ; मिलन; मुनासिब : समुचित; रक़ीबों : प्रतिद्वंदियों; बज़्म : सभा, चर्चा करने का स्थान, संसद; क़ायदा : नियम; हसरतों : इच्छाओं; रू ब रू : प्रत्यक्ष, सम्मुख; निज़ाम : प्रशासन, सरकार; हुसैन : हज़रत इमाम हुसैन अ.स., कर्बला के न्याय युद्ध में जिन्हें यज़ीद की सेनाओं ने शहीद कर दिया था; सफ़ : नमाज़ पढ़ने के लिए लगाई जाने वाली पंक्ति; शहादत : बलिदान; माद्दा : क्षमता ।