न दिल टूटे न दीवारें तो वो क्या था जो टूटा है
सियासत के दयारों में भरोसा था जो टूटा है
हवाएं रो रही हैं, चांद भी कुछ ग़मज़दा-सा है
किसी मासूम बच्चे का खिलौना था जो टूटा है
अदावत भी तुम्हीं ने की, शिकायत भी तुम्हीं को है
तुम्हारा दिल सलामत है, हमारा था जो टूटा है
हमारा दिल दिखाते घूमते थे आप दुनिया में
उसी से आपका भी तो गुज़ारा था, जो टूटा है
न मंहगाई हुई है कम, न ज़र ही हाथ में आया
तुम्हारे शाह का फ़र्ज़ी करिश्मा था, जो टूटा है
हमें वो ग़र्क़ कर देता, अगर मौक़ा मिला होता
कहीं तूफ़ान के दिल में इरादा था, जो टूटा है
निज़ामे-हिंद पर क़ाबिज़ फ़रेबी हैं, लुटेरे हैं
ख़ुदा पर हर किसी को ही अक़ीदा था जो टूटा है !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दयारों: नगरों; ग़मज़दा: शोकग्रस्त; अदावत: शत्रुता; गुज़ारा: निर्वाह; फ़र्ज़ी: छलपूर्ण; करिश्मा: चमत्कार; ग़र्क़: जलमग्न;
इरादा: संकल्प; निज़ामे-हिंद: भारत की व्यवस्था; क़ाबिज़: आधिपत्य में; फ़रेबी: कपटी; अक़ीदा: विश्वास, आस्था ।
सियासत के दयारों में भरोसा था जो टूटा है
हवाएं रो रही हैं, चांद भी कुछ ग़मज़दा-सा है
किसी मासूम बच्चे का खिलौना था जो टूटा है
अदावत भी तुम्हीं ने की, शिकायत भी तुम्हीं को है
तुम्हारा दिल सलामत है, हमारा था जो टूटा है
हमारा दिल दिखाते घूमते थे आप दुनिया में
उसी से आपका भी तो गुज़ारा था, जो टूटा है
न मंहगाई हुई है कम, न ज़र ही हाथ में आया
तुम्हारे शाह का फ़र्ज़ी करिश्मा था, जो टूटा है
हमें वो ग़र्क़ कर देता, अगर मौक़ा मिला होता
कहीं तूफ़ान के दिल में इरादा था, जो टूटा है
निज़ामे-हिंद पर क़ाबिज़ फ़रेबी हैं, लुटेरे हैं
ख़ुदा पर हर किसी को ही अक़ीदा था जो टूटा है !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दयारों: नगरों; ग़मज़दा: शोकग्रस्त; अदावत: शत्रुता; गुज़ारा: निर्वाह; फ़र्ज़ी: छलपूर्ण; करिश्मा: चमत्कार; ग़र्क़: जलमग्न;
इरादा: संकल्प; निज़ामे-हिंद: भारत की व्यवस्था; क़ाबिज़: आधिपत्य में; फ़रेबी: कपटी; अक़ीदा: विश्वास, आस्था ।