आजकल तंग हाल है दिल का
उलझनों में सवाल है दिल का
कुछ उन्हें भी ग़ुरूर है दिल पर
कुछ हमें भी ख़्याल है दिल का
चैन ख़ुद को न राह ख़्वाबों को
इश्क़ क्या है बवाल है दिल का
आशिक़ों की बड़ी फ़जीहत है
क़ब्र में भी मलाल है दिल का
तीरगी रूह पर जहां उतरे
रौशनी को हिलाल है दिल का
इश्क़ पर ही सवाल क्यूं उट्ठें
बंदगी भी जवाल है दिल का
अर्श तक ज़लज़ले मचा डाले
दर्दे-दिल भी कमाल है दिल का !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : ग़ुरूर : अभिमान ; ख़्याल : चिंता ; चैन : संतोष ; बवाल : उपद्रव ; फ़जीहत : दुर्दशा ; क़ब्र : समाधि ; मलाल : खेद ; तीरगी : अंधकार ; रूह : आत्मा ; हिलाल : नवोदित चंद्र ; बंदगी : भक्ति ; जवाल : अवनति, पतन ; अर्श : आकाश ; ज़लज़ले : भूकंप ; कमाल : चमत्कार ।
उलझनों में सवाल है दिल का
कुछ उन्हें भी ग़ुरूर है दिल पर
कुछ हमें भी ख़्याल है दिल का
चैन ख़ुद को न राह ख़्वाबों को
इश्क़ क्या है बवाल है दिल का
आशिक़ों की बड़ी फ़जीहत है
क़ब्र में भी मलाल है दिल का
तीरगी रूह पर जहां उतरे
रौशनी को हिलाल है दिल का
इश्क़ पर ही सवाल क्यूं उट्ठें
बंदगी भी जवाल है दिल का
अर्श तक ज़लज़ले मचा डाले
दर्दे-दिल भी कमाल है दिल का !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : ग़ुरूर : अभिमान ; ख़्याल : चिंता ; चैन : संतोष ; बवाल : उपद्रव ; फ़जीहत : दुर्दशा ; क़ब्र : समाधि ; मलाल : खेद ; तीरगी : अंधकार ; रूह : आत्मा ; हिलाल : नवोदित चंद्र ; बंदगी : भक्ति ; जवाल : अवनति, पतन ; अर्श : आकाश ; ज़लज़ले : भूकंप ; कमाल : चमत्कार ।