नम हुए, गो कम हुए
खेत ताज़ादम हुए
किस दुआ का काम है
चश्मे-नम ज़मज़म हुए
कह गया अश्'आर दिल
ज़ख्म पर मरहम हुए
छू गईं रानाइयां
हम हसीं मौसम हुए
दीद से उम्मीद के
सिलसिले क़ायम हुए
आख़िरश इंसान हैं
तुम हुए या हम हुए
"या अली!" जिसने कहा
हौसले परचम हुए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गो: यद्यपि; चश्मे-नम: भीगी आंखें; ज़मज़म: मक्का शरीफ़ के पास एक कुआं, जिसका जल इस्लाम के अनुयायी पवित्रतम मानते हैं; अश्'आर: शे'र का बहुवचन; रानाइयां: श्रृंगार, सौंदर्य; दीद: दर्शन; सिलसिले: संपर्क; क़ायम: स्थापित; आख़िरश: अंततः; अली: हज़रत अली (र. अ.), हज़रत मुहम्मद साहब (स. अ.) के दामाद, इस्लाम के चौथे ख़लीफ़ा और महान योद्धा; परचम: ध्वज।
खेत ताज़ादम हुए
किस दुआ का काम है
चश्मे-नम ज़मज़म हुए
कह गया अश्'आर दिल
ज़ख्म पर मरहम हुए
छू गईं रानाइयां
हम हसीं मौसम हुए
दीद से उम्मीद के
सिलसिले क़ायम हुए
आख़िरश इंसान हैं
तुम हुए या हम हुए
"या अली!" जिसने कहा
हौसले परचम हुए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गो: यद्यपि; चश्मे-नम: भीगी आंखें; ज़मज़म: मक्का शरीफ़ के पास एक कुआं, जिसका जल इस्लाम के अनुयायी पवित्रतम मानते हैं; अश्'आर: शे'र का बहुवचन; रानाइयां: श्रृंगार, सौंदर्य; दीद: दर्शन; सिलसिले: संपर्क; क़ायम: स्थापित; आख़िरश: अंततः; अली: हज़रत अली (र. अ.), हज़रत मुहम्मद साहब (स. अ.) के दामाद, इस्लाम के चौथे ख़लीफ़ा और महान योद्धा; परचम: ध्वज।