सल्तनत आपकी है सता लीजिए
हसरतें आज सारी मिटा लीजिए
सोचने का तरीक़ा बदल जाएगा
खोल कर दिल कभी मुस्कुरा लीजिए
आप ईज़ा-ए-दिल से परेशां न हों
बस किसी दिन हमें घर बुला लीजिए
हाथ थक जाएंगे चोट करते हुए
ज़ुल्म के माहिरों को बुला लीजिए
आपके ज़ुल्म हम पर बहुत हो चुके
अब कहीं और दिल को लगा लीजिए
सरकशी घुल गई है लहू में मिरे
आप अपनी हिफ़ाज़त बढ़ा लीजिए
चल पड़े हैं मुहिम पर सिपाहे-अमन
हो सके तो रियासत बचा लीजिए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सल्तनत: राज्य; हसरतें: इच्छाएं; ईज़ा-ए-दिल: हृदय का कष्ट, रोग; ज़ुल्म: अत्याचार; माहिरों: प्रवीणों, विशेषज्ञों; सरकशी: विद्रोह; लहू: रक्त; हिफ़ाज़त: सुरक्षा; मुहिम: अभियान; सिपाहे-अमन: शांति-सेनाएं; रियासत: राज्य।
हसरतें आज सारी मिटा लीजिए
सोचने का तरीक़ा बदल जाएगा
खोल कर दिल कभी मुस्कुरा लीजिए
आप ईज़ा-ए-दिल से परेशां न हों
बस किसी दिन हमें घर बुला लीजिए
हाथ थक जाएंगे चोट करते हुए
ज़ुल्म के माहिरों को बुला लीजिए
आपके ज़ुल्म हम पर बहुत हो चुके
अब कहीं और दिल को लगा लीजिए
सरकशी घुल गई है लहू में मिरे
आप अपनी हिफ़ाज़त बढ़ा लीजिए
चल पड़े हैं मुहिम पर सिपाहे-अमन
हो सके तो रियासत बचा लीजिए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सल्तनत: राज्य; हसरतें: इच्छाएं; ईज़ा-ए-दिल: हृदय का कष्ट, रोग; ज़ुल्म: अत्याचार; माहिरों: प्रवीणों, विशेषज्ञों; सरकशी: विद्रोह; लहू: रक्त; हिफ़ाज़त: सुरक्षा; मुहिम: अभियान; सिपाहे-अमन: शांति-सेनाएं; रियासत: राज्य।