अब्र -ओ-हब्स हैं, मौसम का निशां अच्छा है
सहरा-ए-दिल पे बरसने का बयां अच्छा है
जब तलक हाथ में अख़बार नहीं आ जाता
हर तरफ़ चैन-ओ-अमन है, ये: गुमां अच्छा है
जिनकी आँखों में बसा करती है ख़ुशबू-ए-वफ़ा
उनके अनवार से हर सिम्त जहाँ अच्छा है
मुतमइन हैं के: सहर आएगी हर रात के बाद
ज़िया-ए-शौक़ में जुगनू का बयां अच्छा है
मुद्दतों बाद इक उस्ताद हुए हैं ग़ालिब
मेरे हर शेर पे कहते हैं, ' हाँ, S S, अच्छा है'
उनके अहबाब की फ़ेहरिस्त में हम हैं के: नहीं
जज़्ब: - ए- इश्क़ के हक़ में ये: धुवां अच्छा है
हम भी हो आये हैं उस मुल्क-ए-अदम के मेहमां
माशाअल्लाह, हसीनों का मकां अच्छा है।
( 2006 )
- सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अब्र-ओ-हब्स : बादल और उमस; सहरा: मरुस्थल; चैन-ओ-अमन: सुख-शांति;
गुमां:भ्रम ; ख़ुशबू-ए-वफ़ा: आस्था की सुगंध; अनवार: प्रकाश; सिम्त:ओर; मुतमइन:
आश्वस्त; सहर: उषा; ज़िया-ए-शौक़ : लगन की लौ; अहबाब: मित्र ( बहु .); फ़ेहरिस्त :
सूची ; जज़्ब:-ए-इश्क़ : प्रेम की भावना ; धुवां: धुआं, अस्पष्टता; मुल्क-ए-अदम : ईश्वर
का देश; हसीनों का मकां : प्रिय का घर, यहाँ ईश्वर के घर से आशयित।
सहरा-ए-दिल पे बरसने का बयां अच्छा है
जब तलक हाथ में अख़बार नहीं आ जाता
हर तरफ़ चैन-ओ-अमन है, ये: गुमां अच्छा है
जिनकी आँखों में बसा करती है ख़ुशबू-ए-वफ़ा
उनके अनवार से हर सिम्त जहाँ अच्छा है
मुतमइन हैं के: सहर आएगी हर रात के बाद
ज़िया-ए-शौक़ में जुगनू का बयां अच्छा है
मुद्दतों बाद इक उस्ताद हुए हैं ग़ालिब
मेरे हर शेर पे कहते हैं, ' हाँ, S S, अच्छा है'
उनके अहबाब की फ़ेहरिस्त में हम हैं के: नहीं
जज़्ब: - ए- इश्क़ के हक़ में ये: धुवां अच्छा है
हम भी हो आये हैं उस मुल्क-ए-अदम के मेहमां
माशाअल्लाह, हसीनों का मकां अच्छा है।
( 2006 )
- सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अब्र-ओ-हब्स : बादल और उमस; सहरा: मरुस्थल; चैन-ओ-अमन: सुख-शांति;
गुमां:भ्रम ; ख़ुशबू-ए-वफ़ा: आस्था की सुगंध; अनवार: प्रकाश; सिम्त:ओर; मुतमइन:
आश्वस्त; सहर: उषा; ज़िया-ए-शौक़ : लगन की लौ; अहबाब: मित्र ( बहु .); फ़ेहरिस्त :
सूची ; जज़्ब:-ए-इश्क़ : प्रेम की भावना ; धुवां: धुआं, अस्पष्टता; मुल्क-ए-अदम : ईश्वर
का देश; हसीनों का मकां : प्रिय का घर, यहाँ ईश्वर के घर से आशयित।