इश्क़ ईमान हुआ जाता है
दर्द तूफ़ान हुआ जाता है
चल दिए दोस्त बदगुमां हो के
शहर वीरान हुआ जाता है
बहक न जाए नज़र महफ़िल में
दिल निगहबान हुआ जाता है
ख़ुदकुशी कर न लें मियां ग़ालिब
घर परेशान हुआ जाता है
खुल गया राज़ हमसे उल्फ़त का
वो: पशेमान हुआ जाता है
हाले-दिल पे ग़ज़ल कहें कैसे
दाग़ उन्वान हुआ जाता है
देख के रंग सियासतदां के
मुल्क हैरान हुआ जाता है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ईमान: एक मात्र आस्था; बदगुमां हो के : बुरा मान कर; निगहबान: प्रहरी; ख़ुदकुशी: आत्म-हत्या;
मियां ग़ालिब: हज़रत मिर्ज़ा ग़ालिब, 19 वीं शताब्दी के महान शायर; उल्फ़त: लगाव, प्रेम; पशेमान: लज्जित;
हाले-दिल: मनःस्थिति; दाग़: कलंक; उन्वान: शीर्षक; सियासतदां: राजनीतिज्ञ।
दर्द तूफ़ान हुआ जाता है
चल दिए दोस्त बदगुमां हो के
शहर वीरान हुआ जाता है
बहक न जाए नज़र महफ़िल में
दिल निगहबान हुआ जाता है
ख़ुदकुशी कर न लें मियां ग़ालिब
घर परेशान हुआ जाता है
खुल गया राज़ हमसे उल्फ़त का
वो: पशेमान हुआ जाता है
हाले-दिल पे ग़ज़ल कहें कैसे
दाग़ उन्वान हुआ जाता है
देख के रंग सियासतदां के
मुल्क हैरान हुआ जाता है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ईमान: एक मात्र आस्था; बदगुमां हो के : बुरा मान कर; निगहबान: प्रहरी; ख़ुदकुशी: आत्म-हत्या;
मियां ग़ालिब: हज़रत मिर्ज़ा ग़ालिब, 19 वीं शताब्दी के महान शायर; उल्फ़त: लगाव, प्रेम; पशेमान: लज्जित;
हाले-दिल: मनःस्थिति; दाग़: कलंक; उन्वान: शीर्षक; सियासतदां: राजनीतिज्ञ।