समन्दरों से वसी है, रवां है दरिया से
मेरा मिजाज़ अलग है निज़ाम-ए-शरिया से
मुहब्बतों के मुसाफ़िर फ़ना नहीं होते
लहू धुला न धुलेगा सलीब-ए-ईसा से
फ़रेब , झूठ , दग़ा , बेवफ़ाई , ख़ुदग़र्ज़ी
हमें हज़ार ख़ज़ाने मिले हैं दुनिया से
तेरे क़रीब रहें , दिल का लेन-देन करें
इलाज-ए-ग़म नहीं होता किसी तमन्ना से
तड़प-तड़प के पुकारा किये मियां मोमिन
तेरी ख़बर न मिली का'बा-ओ-कलीसा से।
( 2008 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: वसी: विस्तृत ; रवां : गतिवान ; निज़ाम-ए-शरिया : धार्मिक क़ानूनों की व्यवस्था; ख़ुदग़र्ज़ी : स्वार्थ
का'बा : ईश्वर के घर का प्रतीक-स्थल; कलीसा: चर्च।
प्रकाशन: 'origanal poems' ( 2009 ) में।
मेरा मिजाज़ अलग है निज़ाम-ए-शरिया से
मुहब्बतों के मुसाफ़िर फ़ना नहीं होते
लहू धुला न धुलेगा सलीब-ए-ईसा से
फ़रेब , झूठ , दग़ा , बेवफ़ाई , ख़ुदग़र्ज़ी
हमें हज़ार ख़ज़ाने मिले हैं दुनिया से
तेरे क़रीब रहें , दिल का लेन-देन करें
इलाज-ए-ग़म नहीं होता किसी तमन्ना से
तड़प-तड़प के पुकारा किये मियां मोमिन
तेरी ख़बर न मिली का'बा-ओ-कलीसा से।
( 2008 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: वसी: विस्तृत ; रवां : गतिवान ; निज़ाम-ए-शरिया : धार्मिक क़ानूनों की व्यवस्था; ख़ुदग़र्ज़ी : स्वार्थ
का'बा : ईश्वर के घर का प्रतीक-स्थल; कलीसा: चर्च।
प्रकाशन: 'origanal poems' ( 2009 ) में।