नाम सुन कर हमारा ख़फ़ा हो गए
शाह जब से हुए वो ख़ुदा हो गए
एक ताज़ा ख़बर आपके भी लिए
बेवफ़ा दोस्त सब बावफ़ा हो गए
एहतरामे-शहादत उन्हें भी मिले
इश्क़ की राह में जो फ़ना हो गए
चंद अश्'आर अपने शम्'अ से जले
चंद अश्'आर बादे-सबा हो गए
ख़ूब मोहसिन मिले हैं हमें ज़ीस्त में
वक़्त आया नहीं , सब हवा हो गए
तोड़ना चाहती थी हमें शामे-ग़म
दर्द लेकिन हमारी दवा हो गए
दफ़्अतन लोग दिल लूट कर ले गए
और बस, हम शहीदे-वफ़ा हो गए
लीजिए, अब ज़रा मुस्कुरा दीजिए
आपकी बज़्म से हम दफ़ा हो गए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़फ़ा: रुष्ट; बेवफ़ा: निष्ठाहीन; बावफ़ा: निष्ठावान; एहतरामे-शहादत: वीरगति पाने का सम्मान; फ़ना: बलिदान; चंद: कुछ; अश्'आर: शे'र का बहुवचन; शम्'अ: दीपिका; बादे-सबा: प्रातः समीर; मोहसिन: अनुग्रहकर्त्ता; ज़ीस्त: जीवन; दफ़्अतन: सहसा; शहीदे-वफ़ा: निष्ठा पर बलि; बज़्म: सभा; दफ़ा: दूर, अदृश्य।
शाह जब से हुए वो ख़ुदा हो गए
एक ताज़ा ख़बर आपके भी लिए
बेवफ़ा दोस्त सब बावफ़ा हो गए
एहतरामे-शहादत उन्हें भी मिले
इश्क़ की राह में जो फ़ना हो गए
चंद अश्'आर अपने शम्'अ से जले
चंद अश्'आर बादे-सबा हो गए
ख़ूब मोहसिन मिले हैं हमें ज़ीस्त में
वक़्त आया नहीं , सब हवा हो गए
तोड़ना चाहती थी हमें शामे-ग़म
दर्द लेकिन हमारी दवा हो गए
दफ़्अतन लोग दिल लूट कर ले गए
और बस, हम शहीदे-वफ़ा हो गए
लीजिए, अब ज़रा मुस्कुरा दीजिए
आपकी बज़्म से हम दफ़ा हो गए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़फ़ा: रुष्ट; बेवफ़ा: निष्ठाहीन; बावफ़ा: निष्ठावान; एहतरामे-शहादत: वीरगति पाने का सम्मान; फ़ना: बलिदान; चंद: कुछ; अश्'आर: शे'र का बहुवचन; शम्'अ: दीपिका; बादे-सबा: प्रातः समीर; मोहसिन: अनुग्रहकर्त्ता; ज़ीस्त: जीवन; दफ़्अतन: सहसा; शहीदे-वफ़ा: निष्ठा पर बलि; बज़्म: सभा; दफ़ा: दूर, अदृश्य।