रास्ते कम नहीं मोहब्बत के
पर क़दम तो उठें इनायत के
जानलेवा है मौसमे सरमां
हिज्र में दिन हुए हरारत के
बात क्या इश्क़ की करेंगे वो
जो तरफ़दार हैं अदावत के
शाह की बद्ज़ुबानियां तौबा !
बोल तो देखिए हिकारत के
आप अपना मयार खो बैठे
छोड़ कर दायरे शराफ़त के
जान लें काश्तकार नफ़रत के
दिन गए गंद की सियासत के
एक रब को मना नहीं पाते
खुल गए दर कई इबादत के !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: इनायत : कृपा; मौसमे सरमां : शीत ऋतु; हिज्र : वियोग; हरारत : हल्का ज्वर; तरफ़दार : पक्षधर; अदावत : शत्रुता; बद्ज़ुबानियां : अभद्र भाषा के प्रयोग; हिकारत : तिरस्कार, घृणा, अपमान; मयार : उच्च स्थिति; दायरे : परिधियां; शराफ़त : भद्रता, शालीनता; काश्तकार : फ़सल उगाने वाले, कृषक; नफ़रत : घृणा; गंद : मलीनता, कीचड़; रब : ईश्वर; दर : द्वार, स्थान; इबादत : पूजा।
पर क़दम तो उठें इनायत के
जानलेवा है मौसमे सरमां
हिज्र में दिन हुए हरारत के
बात क्या इश्क़ की करेंगे वो
जो तरफ़दार हैं अदावत के
शाह की बद्ज़ुबानियां तौबा !
बोल तो देखिए हिकारत के
आप अपना मयार खो बैठे
छोड़ कर दायरे शराफ़त के
जान लें काश्तकार नफ़रत के
दिन गए गंद की सियासत के
एक रब को मना नहीं पाते
खुल गए दर कई इबादत के !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: इनायत : कृपा; मौसमे सरमां : शीत ऋतु; हिज्र : वियोग; हरारत : हल्का ज्वर; तरफ़दार : पक्षधर; अदावत : शत्रुता; बद्ज़ुबानियां : अभद्र भाषा के प्रयोग; हिकारत : तिरस्कार, घृणा, अपमान; मयार : उच्च स्थिति; दायरे : परिधियां; शराफ़त : भद्रता, शालीनता; काश्तकार : फ़सल उगाने वाले, कृषक; नफ़रत : घृणा; गंद : मलीनता, कीचड़; रब : ईश्वर; दर : द्वार, स्थान; इबादत : पूजा।