हाथ अपना खुला नहीं होता
तो किसी को गिला नहीं होता
रात ढलना विसाल से पहले
यह वफ़ा का सिला नहीं होता
दोस्तों के फ़रेब के सदक़े
इश्क़ का हौसला नहीं होता
मर रहे हैं विसाल को वो भी
पर कभी सिलसिला नहीं होता
चांद वादानिबाह होता तो
दिल शम्'.अ-सा जला नहीं होता
बाल आ जाए गर निगाहों में
ख़त्म फिर फ़ासला नहीं होता
ख़ुदकुशी क्यूं करे यहां कोई
जब किसी का भला नहीं होता
आपकी ही दुआएं हैं, वरना
ख़ुल्द में दाख़िला नहीं होता !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: विसाल: मिलन, वफ़ा: निष्ठा; सिला: प्रतिदान; फ़रेब: छल; सदक़े: श्रेय देना; हौसला: साहस; सिलसिला: संयोग; वादानिबाह: वचन का पालन करने वाला; बाल: शंका, अंतर (व्यंजना); फ़ासला: अंतराल; ख़ुदकुशी: आत्महत्या; दुआएं: शुभकामनाएं; ख़ुल्द: स्वर्ग; दाख़िला: प्रवेश ।
तो किसी को गिला नहीं होता
रात ढलना विसाल से पहले
यह वफ़ा का सिला नहीं होता
दोस्तों के फ़रेब के सदक़े
इश्क़ का हौसला नहीं होता
मर रहे हैं विसाल को वो भी
पर कभी सिलसिला नहीं होता
चांद वादानिबाह होता तो
दिल शम्'.अ-सा जला नहीं होता
बाल आ जाए गर निगाहों में
ख़त्म फिर फ़ासला नहीं होता
ख़ुदकुशी क्यूं करे यहां कोई
जब किसी का भला नहीं होता
आपकी ही दुआएं हैं, वरना
ख़ुल्द में दाख़िला नहीं होता !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: विसाल: मिलन, वफ़ा: निष्ठा; सिला: प्रतिदान; फ़रेब: छल; सदक़े: श्रेय देना; हौसला: साहस; सिलसिला: संयोग; वादानिबाह: वचन का पालन करने वाला; बाल: शंका, अंतर (व्यंजना); फ़ासला: अंतराल; ख़ुदकुशी: आत्महत्या; दुआएं: शुभकामनाएं; ख़ुल्द: स्वर्ग; दाख़िला: प्रवेश ।