है असर बुलबुल तिरी फ़रियाद का
नामलेवा तक नहीं सय्याद का
लग रहा है शाह के आमाल से
दौर वापस आ गया शद्दाद का
मुल्क का ईमान गिरवी रख चुके
देखते हैं रास्ता इमदाद का
लोग अपना दिल उठा कर चल दिए
काम आसां कर गए नाशाद का
मुश्किलें दर मुश्किलें आती रहीं
जिस्म दिल ने कर दिया फ़ौलाद का
मुफ़लिसी में कर रहा है शायरी
क्या कलेजा है दिले-बर्बाद का !
वक़्त मुंसिफ़ है, इसे मत छेड़िए
सर कटेगा एक दिन जल्लाद का !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: असर: प्रभाव; बुलबुल: मैना; फ़रियाद: दुहाई, प्रार्थना; आमाल: क्रिया-कलाप; शद्दाद: मिस्र का एक नास्तिक शासक जिसने अपने को ख़ुदा घोषित कर दिया था और इसे साबित करने के लिए एक कृत्रिम जन्नत का निर्माण कराया था; इमदाद: सहायता ('निवेश'); आसां: सरल; नाशाद: असंतुष्ट, दुखी हृदय; जिस्म: शरीर; फ़ौलाद:इस्पात; मुफ़लिसी: विपन्नता; कलेजा: साहस; दिले-बर्बाद: दिवालिया/ध्वस्त व्यक्ति का मन; मुंसिफ़: न्यायकर्त्ता; जल्लाद: वधिक, हत्यारा।
नामलेवा तक नहीं सय्याद का
लग रहा है शाह के आमाल से
दौर वापस आ गया शद्दाद का
मुल्क का ईमान गिरवी रख चुके
देखते हैं रास्ता इमदाद का
लोग अपना दिल उठा कर चल दिए
काम आसां कर गए नाशाद का
मुश्किलें दर मुश्किलें आती रहीं
जिस्म दिल ने कर दिया फ़ौलाद का
मुफ़लिसी में कर रहा है शायरी
क्या कलेजा है दिले-बर्बाद का !
वक़्त मुंसिफ़ है, इसे मत छेड़िए
सर कटेगा एक दिन जल्लाद का !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: असर: प्रभाव; बुलबुल: मैना; फ़रियाद: दुहाई, प्रार्थना; आमाल: क्रिया-कलाप; शद्दाद: मिस्र का एक नास्तिक शासक जिसने अपने को ख़ुदा घोषित कर दिया था और इसे साबित करने के लिए एक कृत्रिम जन्नत का निर्माण कराया था; इमदाद: सहायता ('निवेश'); आसां: सरल; नाशाद: असंतुष्ट, दुखी हृदय; जिस्म: शरीर; फ़ौलाद:इस्पात; मुफ़लिसी: विपन्नता; कलेजा: साहस; दिले-बर्बाद: दिवालिया/ध्वस्त व्यक्ति का मन; मुंसिफ़: न्यायकर्त्ता; जल्लाद: वधिक, हत्यारा।