आपको बिन कहे दिल में आना न था
आ गए तो कहीं और जाना न था
दोस्तों की ज़रूरत नहीं तो तुम्हें
हाथ मेरी तरफ़ यूं बढ़ाना न था
छोड़ के जो गए दुश्मनों की तरह
लौट के ख़्वाब में फिर सताना न था
ख़्वाहमख़्वाह रात भर जी जलाते रहे
उनके वादे पे ईमान लाना न था
तिश्नगी जब सहन ही नहीं तो तुम्हें
रोज़ेदारी का जज़्बा दिखाना न था !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़्वाहमख़्वाह: अकारण, व्यर्थ; ईमान: आस्था; तिश्नगी: प्यास; रोज़ेदारी: निर्जल उपवास; जज़्बा: भावना, उत्साह।
आ गए तो कहीं और जाना न था
दोस्तों की ज़रूरत नहीं तो तुम्हें
हाथ मेरी तरफ़ यूं बढ़ाना न था
छोड़ के जो गए दुश्मनों की तरह
लौट के ख़्वाब में फिर सताना न था
ख़्वाहमख़्वाह रात भर जी जलाते रहे
उनके वादे पे ईमान लाना न था
तिश्नगी जब सहन ही नहीं तो तुम्हें
रोज़ेदारी का जज़्बा दिखाना न था !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़्वाहमख़्वाह: अकारण, व्यर्थ; ईमान: आस्था; तिश्नगी: प्यास; रोज़ेदारी: निर्जल उपवास; जज़्बा: भावना, उत्साह।