आसां है तो क्यूं कर न ज़ेह्न से निकाल दे
मुश्किल है तो ला दे, मुझे अपना सवाल दे
लेता है तो असबाबे-ग़ज़लगोई छीन ले
देता है तो उस्ताद मुझे बा-कमाल दे
आओ तो इस तरह कि किसी को ख़बर न हो
जाओ तो यूं कि वक़्त अज़ल तक मिसाल दे
राहे-बहिश्त में मिरी सांसें उखड़ गईं
हूरें न दे, न दे कोई पुर्साने-हाल दे
तेग़ें तड़प रही हैं तिरी दीद के लिए
ना'र: -ए-इंक़िलाब फ़लक तक उछाल दे
सर दांव पर लगा है शिकस्ता अवाम का
मुफ़्लिस को शाहे-वक़्त से ज़्यादा मजाल दे
नादार को निवाल: मयस्सर न हो जहां
उस ख़ल्क़ो -कायनात से बेहतर ख़्याल दे !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आसां: सरल; ज़ेह्न: मस्तिष्क; असबाबे-ग़ज़लगोई: ग़ज़ल कहने की सामग्री; बा-कमाल: चमत्कारी; अज़ल: अनंतकाल; मिसाल: उदाहरण; राहे-बहिश्त: स्वर्ग का मार्ग; हूरें: अप्सराएं; पुर्साने-हाल: हाल पूछने वाला; तेग़ें: तलवारें; दीद: दर्शन; ना'र: -ए-इंक़िलाब: क्रांति का उद्घोष; फ़लक: आकाश; शिकस्ता: भग्न-हृदय, हारे हुए; अवाम: जन-सामान्य; मुफ़्लिस: निर्धन; शाहे-वक़्त: वर्त्तमान शासक; मजाल: साहस, सामर्थ्य; नादार: दीन-हीन; निवाल:: कौर; मयस्सर: प्राप्त, उपलब्ध; ख़ल्क़ो -कायनात: सृष्टि और ब्रह्माण्ड; ख़्याल: विचार ।
मुश्किल है तो ला दे, मुझे अपना सवाल दे
लेता है तो असबाबे-ग़ज़लगोई छीन ले
देता है तो उस्ताद मुझे बा-कमाल दे
आओ तो इस तरह कि किसी को ख़बर न हो
जाओ तो यूं कि वक़्त अज़ल तक मिसाल दे
राहे-बहिश्त में मिरी सांसें उखड़ गईं
हूरें न दे, न दे कोई पुर्साने-हाल दे
तेग़ें तड़प रही हैं तिरी दीद के लिए
ना'र: -ए-इंक़िलाब फ़लक तक उछाल दे
सर दांव पर लगा है शिकस्ता अवाम का
मुफ़्लिस को शाहे-वक़्त से ज़्यादा मजाल दे
नादार को निवाल: मयस्सर न हो जहां
उस ख़ल्क़ो -कायनात से बेहतर ख़्याल दे !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आसां: सरल; ज़ेह्न: मस्तिष्क; असबाबे-ग़ज़लगोई: ग़ज़ल कहने की सामग्री; बा-कमाल: चमत्कारी; अज़ल: अनंतकाल; मिसाल: उदाहरण; राहे-बहिश्त: स्वर्ग का मार्ग; हूरें: अप्सराएं; पुर्साने-हाल: हाल पूछने वाला; तेग़ें: तलवारें; दीद: दर्शन; ना'र: -ए-इंक़िलाब: क्रांति का उद्घोष; फ़लक: आकाश; शिकस्ता: भग्न-हृदय, हारे हुए; अवाम: जन-सामान्य; मुफ़्लिस: निर्धन; शाहे-वक़्त: वर्त्तमान शासक; मजाल: साहस, सामर्थ्य; नादार: दीन-हीन; निवाल:: कौर; मयस्सर: प्राप्त, उपलब्ध; ख़ल्क़ो -कायनात: सृष्टि और ब्रह्माण्ड; ख़्याल: विचार ।