फूल-सा नर्म दिल सनम का है
ये: करिश्मा किसी करम का है
तोड़ कर दिल तमाम कहते हैं
अब ज़माना नई नज़्म का है
मिरा होना अगर ख़राबी है
मुद्द'आ आपके रहम का है
रूह को दाग़दार मत कीजे
जिस्म तो यूं भी चार दम का है
आक़बत को संवारिए अपनी
ये: सबक़ वक़्त के सितम का है
दरम्यां दो दिलों के दुनिया है
फ़ासला सिर्फ़ इक क़दम का है
मैं तिरे अज़्म की हक़ीक़त हूं
तू नतीजा मिरे वहम का है !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: करिश्मा: चमत्कार; करम: ईश्वरीय कृपा; ख़राबी: दोष; रहम: दया; दाग़दार: कलंकित; दम: सांस; आक़बत: परलोक; सबक़: पाठ, शिक्षा; सितम: अत्याचार; दरम्यां: बीच में; फ़ासला: अंतराल, दूरी; अज़्म: अस्तित्व; हक़ीक़त: यथार्थ; नतीजा: परिणाम; वहम: भ्रम।
ये: करिश्मा किसी करम का है
तोड़ कर दिल तमाम कहते हैं
अब ज़माना नई नज़्म का है
मिरा होना अगर ख़राबी है
मुद्द'आ आपके रहम का है
रूह को दाग़दार मत कीजे
जिस्म तो यूं भी चार दम का है
आक़बत को संवारिए अपनी
ये: सबक़ वक़्त के सितम का है
दरम्यां दो दिलों के दुनिया है
फ़ासला सिर्फ़ इक क़दम का है
मैं तिरे अज़्म की हक़ीक़त हूं
तू नतीजा मिरे वहम का है !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: करिश्मा: चमत्कार; करम: ईश्वरीय कृपा; ख़राबी: दोष; रहम: दया; दाग़दार: कलंकित; दम: सांस; आक़बत: परलोक; सबक़: पाठ, शिक्षा; सितम: अत्याचार; दरम्यां: बीच में; फ़ासला: अंतराल, दूरी; अज़्म: अस्तित्व; हक़ीक़त: यथार्थ; नतीजा: परिणाम; वहम: भ्रम।