अब्र अक्सर वक़्त पर छाता नहीं
और मौसम भी ख़बर लाता नहीं
ख़ुदकुशी हर बार दहक़ां क्यूं करे
कोई हाकिम तो ज़हर खाता नहीं
फ़िक्र होती शाह को गर मुल्क की
तो सितम यूं रिज़्क़ पर ढाता नहीं
चाहता है सर झुकाना वो मेरा
पर कभी मजबूर कर पाता नहीं
मीर का दीवान हमने छू दिया
उम्र गुज़री पर असर जाता नहीं
जानता है मौसिक़ी के राज़ सब
वो परिंदा बे-बहर गाता नहीं
नफ़्स में तू नब्ज़ में तू दिल में तू
अक्स तेरा क्यूं नज़र आता नहीं ?
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अब्र :मेघ ; ख़ुदकुशी : आत्महत्या ; दहक़ां : कृषक ; हाकिम : अधिकारी ; सितम : अत्याचार ; रिज़्क़ : भोजन, खाद्य-सामग्री ; मजबूर : विवश ; मीर :हज़रत मीर तक़ी 'मीर' , उर्दू के महान शायर ; दीवान : काव्य-संग्रह ; असर : प्रभाव ; मौसिक़ी : संगीत ; राज़ : रहस्य ; परिंदा : पक्षी ; बे-बहर : छंद के विरुद्ध ; नफ़्स : सांस ; नब्ज़ : नाड़ी ; अक्स : प्रतिबिम्ब ।
और मौसम भी ख़बर लाता नहीं
ख़ुदकुशी हर बार दहक़ां क्यूं करे
कोई हाकिम तो ज़हर खाता नहीं
फ़िक्र होती शाह को गर मुल्क की
तो सितम यूं रिज़्क़ पर ढाता नहीं
चाहता है सर झुकाना वो मेरा
पर कभी मजबूर कर पाता नहीं
मीर का दीवान हमने छू दिया
उम्र गुज़री पर असर जाता नहीं
जानता है मौसिक़ी के राज़ सब
वो परिंदा बे-बहर गाता नहीं
नफ़्स में तू नब्ज़ में तू दिल में तू
अक्स तेरा क्यूं नज़र आता नहीं ?
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अब्र :मेघ ; ख़ुदकुशी : आत्महत्या ; दहक़ां : कृषक ; हाकिम : अधिकारी ; सितम : अत्याचार ; रिज़्क़ : भोजन, खाद्य-सामग्री ; मजबूर : विवश ; मीर :हज़रत मीर तक़ी 'मीर' , उर्दू के महान शायर ; दीवान : काव्य-संग्रह ; असर : प्रभाव ; मौसिक़ी : संगीत ; राज़ : रहस्य ; परिंदा : पक्षी ; बे-बहर : छंद के विरुद्ध ; नफ़्स : सांस ; नब्ज़ : नाड़ी ; अक्स : प्रतिबिम्ब ।
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