ख़ुल्द से जबसे किनारा कर लिया
घर फ़रिश्तों ने हमारा कर लिया
दाल-रोटी तक ख़ुदा ने छीन ली
हमने फ़ाक़ों से गुज़ारा कर लिया
भुगतिए तकरीर पर तकरीर अब
ख़ामोख़्वाह उनको इशारा कर लिया
चांदनी की दिलनवाज़ी देख कर
हमने ख़ुद को माहपारा कर लिया
दिल लगा कर शैख़ से उस शोख़ ने
आख़िरत तक का सहारा कर लिया
हज़रते मूसा यहां तक गिर गए
बे-हयाई से नज़ारा कर लिया
मर मिटे मालिक मकां के हुस्न पर
ख़ुल्द में रहना गवारा कर लिया !
( 2015 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़ुल्द: स्वर्ग; फ़रिश्तों: देव दूतों; फ़ाक़ों: निर्जल उपवासों; गुज़ारा: निर्वाह; तकरीर: भाषण; ख़ामोख़्वाह: निरुद्देश्य; इशारा: संकेत; दिलनवाज़ी: हार्दिक सत्कार; माहपारा: चंद्रमा का अंश, टुकड़ा; शैख़; धर्म भीरु, प्रचारक; शौख़: चंचल; आख़िरत: अंतिम न्याय, परलोक; हज़रते मूसा: हज़रत मूसा अ. स., जिन्हें ख़ुदा ने अपनी झलक दिखाई थी; बे-हयाई: निर्लज्जता से ; नज़ारा: दर्शन; मालिक मकां: भवन स्वामी; हुस्न: सौंदर्य; गवारा: स्वीकार।
घर फ़रिश्तों ने हमारा कर लिया
दाल-रोटी तक ख़ुदा ने छीन ली
हमने फ़ाक़ों से गुज़ारा कर लिया
भुगतिए तकरीर पर तकरीर अब
ख़ामोख़्वाह उनको इशारा कर लिया
चांदनी की दिलनवाज़ी देख कर
हमने ख़ुद को माहपारा कर लिया
दिल लगा कर शैख़ से उस शोख़ ने
आख़िरत तक का सहारा कर लिया
हज़रते मूसा यहां तक गिर गए
बे-हयाई से नज़ारा कर लिया
मर मिटे मालिक मकां के हुस्न पर
ख़ुल्द में रहना गवारा कर लिया !
( 2015 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़ुल्द: स्वर्ग; फ़रिश्तों: देव दूतों; फ़ाक़ों: निर्जल उपवासों; गुज़ारा: निर्वाह; तकरीर: भाषण; ख़ामोख़्वाह: निरुद्देश्य; इशारा: संकेत; दिलनवाज़ी: हार्दिक सत्कार; माहपारा: चंद्रमा का अंश, टुकड़ा; शैख़; धर्म भीरु, प्रचारक; शौख़: चंचल; आख़िरत: अंतिम न्याय, परलोक; हज़रते मूसा: हज़रत मूसा अ. स., जिन्हें ख़ुदा ने अपनी झलक दिखाई थी; बे-हयाई: निर्लज्जता से ; नज़ारा: दर्शन; मालिक मकां: भवन स्वामी; हुस्न: सौंदर्य; गवारा: स्वीकार।
खूबसूरत भाव,बेहतरीन प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
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