आप तो बादे-सबा से डर गए
क्या हुआ, किसकी वफ़ा से डर गए
हम उलझते ही नहीं मुंहज़ोर से
वो समझता है अना से डर गए
ना-तजुर्बेकार की बख़्शीश हो
शैख़ हूरों की अदा से डर गए
क्या बताएं, कौन है उनका ख़ुदा
जो मुअज़्ज़िन की सदा से डर गए
शो'अरा की मग़फ़िरत यूं भी नहीं
आप नाहक़ बद्दुआ से डर गए
नाज़ था किस बात पर मूसा तुम्हें
एक नन्हीं-सी शुआ से डर गए
अब हमें काफ़िर न कहिए, दोस्तों
देखिए, हम भी ख़ुदा से डर गए !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बादे-सबा: प्रभात समीर, वफ़ा:निष्ठा; मुंहज़ोर:असभ्यता से बात करने वाला; अना: ठसक; ना-तजुर्बेकार:अननुभवी; बख़्शीश:क्षमा; शैख़: धर्म-भीरु; हूरों: अप्सराओं; मुअज़्ज़िन की सदा:अज़ान; अदा:भाव-भंगिमा; शो'अरा: शायर (बहुव.); मग़फ़िरत:मुक्ति; नाहक़:व्यर्थ; बद्दुआ:श्राप, अशुभकामना; नाज़: गर्व; मूसा:हज़रत मूसा अलैहि सलाम, इस्लाम के द्वैत वादी दार्शनिक; शुआ: किरण; काफ़िर:नास्तिक।
क्या हुआ, किसकी वफ़ा से डर गए
हम उलझते ही नहीं मुंहज़ोर से
वो समझता है अना से डर गए
ना-तजुर्बेकार की बख़्शीश हो
शैख़ हूरों की अदा से डर गए
क्या बताएं, कौन है उनका ख़ुदा
जो मुअज़्ज़िन की सदा से डर गए
शो'अरा की मग़फ़िरत यूं भी नहीं
आप नाहक़ बद्दुआ से डर गए
नाज़ था किस बात पर मूसा तुम्हें
एक नन्हीं-सी शुआ से डर गए
अब हमें काफ़िर न कहिए, दोस्तों
देखिए, हम भी ख़ुदा से डर गए !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बादे-सबा: प्रभात समीर, वफ़ा:निष्ठा; मुंहज़ोर:असभ्यता से बात करने वाला; अना: ठसक; ना-तजुर्बेकार:अननुभवी; बख़्शीश:क्षमा; शैख़: धर्म-भीरु; हूरों: अप्सराओं; मुअज़्ज़िन की सदा:अज़ान; अदा:भाव-भंगिमा; शो'अरा: शायर (बहुव.); मग़फ़िरत:मुक्ति; नाहक़:व्यर्थ; बद्दुआ:श्राप, अशुभकामना; नाज़: गर्व; मूसा:हज़रत मूसा अलैहि सलाम, इस्लाम के द्वैत वादी दार्शनिक; शुआ: किरण; काफ़िर:नास्तिक।
सभी अशआर बहुत उम्दा...ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
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