शहंशाह जब नेक वादा करेंगे
सितम बेकसों पर ज़ियादा करेंगे
उन्हें तख़्ते-दिल तक पहुंचने न दीजे
मुसीबत नई रोज़ लादा करेंगे
ये शतरंज है, बैतबाज़ी नहीं है
उन्हें हम यहीं बे-पियादा करेंगे
ये मीनारो-गुंबद निशां ज़ुल्मतों के
गिरा देंगे हम जब इरादा करेंगे
वो परदेस से रक़्म लाने गए हैं
वतन को लुटा कर इफ़ादा करेंगे
अभी दोस्तों की अदाएं समझ लें
किसी और दिन फ़िक्रे-आदा करेंगे
जगह तो नहीं है ख़ुदा के सहन में
हमारे लिए दिल कुशादा करेंगे !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सितम: अत्याचार; बेकसों: निर्बलों; तख़्ते-दिल: हृदय का सिंहासन; बैतबाज़ी: उर्दू व्याकरण के अनुसार अंत्याक्षरी; बे-पियादा: पैदल रहित, शतरंज के खेल में सभी पैदलों को मारना; मीनारो-गुंबद: कीर्त्ति-स्तंभ और तोरण; ज़ुल्मतों: अन्यायों, अत्याचारों; रक़्म: धन, निवेश; इफ़ादा: लाभ पहुंचाना; फ़िक्रे-आदा: शत्रुओं की चिंता; सहन: आंगन, घर के द्वार के आगे बैठने की जगह; कुशादा: विस्तीर्ण ।
सितम बेकसों पर ज़ियादा करेंगे
उन्हें तख़्ते-दिल तक पहुंचने न दीजे
मुसीबत नई रोज़ लादा करेंगे
ये शतरंज है, बैतबाज़ी नहीं है
उन्हें हम यहीं बे-पियादा करेंगे
ये मीनारो-गुंबद निशां ज़ुल्मतों के
गिरा देंगे हम जब इरादा करेंगे
वो परदेस से रक़्म लाने गए हैं
वतन को लुटा कर इफ़ादा करेंगे
अभी दोस्तों की अदाएं समझ लें
किसी और दिन फ़िक्रे-आदा करेंगे
जगह तो नहीं है ख़ुदा के सहन में
हमारे लिए दिल कुशादा करेंगे !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सितम: अत्याचार; बेकसों: निर्बलों; तख़्ते-दिल: हृदय का सिंहासन; बैतबाज़ी: उर्दू व्याकरण के अनुसार अंत्याक्षरी; बे-पियादा: पैदल रहित, शतरंज के खेल में सभी पैदलों को मारना; मीनारो-गुंबद: कीर्त्ति-स्तंभ और तोरण; ज़ुल्मतों: अन्यायों, अत्याचारों; रक़्म: धन, निवेश; इफ़ादा: लाभ पहुंचाना; फ़िक्रे-आदा: शत्रुओं की चिंता; सहन: आंगन, घर के द्वार के आगे बैठने की जगह; कुशादा: विस्तीर्ण ।
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