निगाहों में आए कि मारे गए
रहे दूर जो, बे-सहारे गए
फ़सादों में इंसान मारे गए
हमारे गए या तुम्हारे गए
ज़ईफ़ी ज़ेह् न पर सितम कर गई
नज़र से निकलते शरारे गए
सिकंदर गया, ग़जनवी भी गया
जहां नामवर ढेर-सारे गए
बहुत देर तक तख़्त हंसता रहा
शहंशाह जब-जब उतारे गए
हमारे मक़बरे का एजाज़ है
यहां सब मुक़द्दर संवारे गए
किसी की नमाज़ें, किसी की दुआ
नए नाम हर दिन पुकारे गए
मुक़द्दस हुई कर्बला की ज़मीं
जहां पर नबी के दुलारे गए
ख़ुदा ने ख़ुशी से हमें ख़ुल्द दी
मगर हम ख़ुदी के इदारे गए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़सादों: दंगों, उपद्रवों; ज़ईफ़ी: वृद्धावस्था; ज़ेह् न: मस्तिष्क; सितम: अत्याचार; शरारे: चिंगारियां; सिकंदर: यूनान का महान योद्धा; ग़जनवी: अफ़ग़ानिस्तान के ग़ज़नी का लुटेरा आक्रमणकारी शासक, जिसने सोमनाथ मंदिर को लूटा था; नामवर: प्रसिद्ध व्यक्ति; मक़बरा: समाधि, क़ब्र; एजाज़: प्रतिष्ठा; मुक़द्दर: भाग्य; नमाज़ें: मृतक के सम्मान में की जाने वाली नमाज़ें; दुआ: आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना; मुक़द्दस: पवित्र; कर्बला: ईराक़ का एक स्थान, जहां नबी (इस्लाम के अंतिम पैग़ंबर, हज़रत मुहम्मद साहब स.अ.व) के
वंशज तत्कालीन अधर्मी शासक यज़ीद की सेना के हाथों वीरगति को प्राप्त हुए; ख़ुल्द: स्वर्ग; ख़ुदी: स्वाभिमान; इदारे: संस्थान।
रहे दूर जो, बे-सहारे गए
फ़सादों में इंसान मारे गए
हमारे गए या तुम्हारे गए
ज़ईफ़ी ज़ेह् न पर सितम कर गई
नज़र से निकलते शरारे गए
सिकंदर गया, ग़जनवी भी गया
जहां नामवर ढेर-सारे गए
बहुत देर तक तख़्त हंसता रहा
शहंशाह जब-जब उतारे गए
हमारे मक़बरे का एजाज़ है
यहां सब मुक़द्दर संवारे गए
किसी की नमाज़ें, किसी की दुआ
नए नाम हर दिन पुकारे गए
मुक़द्दस हुई कर्बला की ज़मीं
जहां पर नबी के दुलारे गए
ख़ुदा ने ख़ुशी से हमें ख़ुल्द दी
मगर हम ख़ुदी के इदारे गए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़सादों: दंगों, उपद्रवों; ज़ईफ़ी: वृद्धावस्था; ज़ेह् न: मस्तिष्क; सितम: अत्याचार; शरारे: चिंगारियां; सिकंदर: यूनान का महान योद्धा; ग़जनवी: अफ़ग़ानिस्तान के ग़ज़नी का लुटेरा आक्रमणकारी शासक, जिसने सोमनाथ मंदिर को लूटा था; नामवर: प्रसिद्ध व्यक्ति; मक़बरा: समाधि, क़ब्र; एजाज़: प्रतिष्ठा; मुक़द्दर: भाग्य; नमाज़ें: मृतक के सम्मान में की जाने वाली नमाज़ें; दुआ: आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना; मुक़द्दस: पवित्र; कर्बला: ईराक़ का एक स्थान, जहां नबी (इस्लाम के अंतिम पैग़ंबर, हज़रत मुहम्मद साहब स.अ.व) के
वंशज तत्कालीन अधर्मी शासक यज़ीद की सेना के हाथों वीरगति को प्राप्त हुए; ख़ुल्द: स्वर्ग; ख़ुदी: स्वाभिमान; इदारे: संस्थान।
सुन्दर रचना !
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