दिन बदलते रहें दिल न बदले कभी
राह हो कोई मंज़िल न बदले कभी
तीरगी से हमें कोई शिकवा नहीं
उनकी आँखों का काजल न बदले कभी
अपने मक़सूद पे जां छिड़कने लगे
इस क़दर रू:-ए-क़ातिल न बदले कभी
आँधियों में न मचले वो: दरिया ही क्या
ख़ौफ़-ए-तूफ़ां से साहिल न बदले कभी
उनकी आहों से झुक जायेगा आसमां
बेक़रारों की महफ़िल न बदले कभी।
(2006)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तीरगी: अंधकार मक़सूद : लक्ष्य
राह हो कोई मंज़िल न बदले कभी
तीरगी से हमें कोई शिकवा नहीं
उनकी आँखों का काजल न बदले कभी
अपने मक़सूद पे जां छिड़कने लगे
इस क़दर रू:-ए-क़ातिल न बदले कभी
आँधियों में न मचले वो: दरिया ही क्या
ख़ौफ़-ए-तूफ़ां से साहिल न बदले कभी
उनकी आहों से झुक जायेगा आसमां
बेक़रारों की महफ़िल न बदले कभी।
(2006)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तीरगी: अंधकार मक़सूद : लक्ष्य
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