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सोमवार, 10 दिसंबर 2012

ज़िंदगी तन्हा

रंज   तन्हा    सहे    ख़ुशी  तन्हा
उम्र  यूँ  ही    गुज़र  गई    तन्हा

जब सर-ए-बज़्म तेरी याद आई
रूह  भटकी   गली  गली   तन्हा

हमप्याला  मिरे   मुआफ़   करें
चोट  गहरी  थी हमने पी तन्हा

वक़्त  रहते   संभल  गए   होते
तो  न  कटती ये: ज़िंदगी तन्हा

इश्क़ हमने  किया  सरे-बाज़ार
और  की  उनकी बन्दगी तन्हा

                                  (2007)

                     - सुरेश स्वप्निल













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