यूं ही हमको दिल मत देना
आसां सी मुश्किल मत देना
कश्ती तूफां की आशिक़ है
मिटने को साहिल मत देना
दुश्मन वो: जो ईमां ले ले
कमज़र्फ़ मुक़ाबिल मत देना
मंज़िल के सदक़े गर्म लहू
सरसब्ज़ मराहिल मत देना
जम्हूर बग़ावत कर देगा
उमरा ना -क़ाबिल मत देना
सदियां हम पर शर्मिंदा हों
ऐसा मुस्तक़बिल मत देना
हक़ से लेंगे लड़ कर लेंगे
तोहफ़े में हासिल मत देना !
(2019)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आसां : सरल; कश्ती : नाव; तूफ़ां : झंझावात; आशिक़ : आसक्त; साहिल : तट; ईमां : आस्था; कमज़र्फ़ : ओछा; मुक़ाबिल : समक्ष, प्रतिद्वंदी; मंज़िल : लक्ष्य; सदक़े : न्यौछावर; लहू : रक्त; सरसब्ज़ : हरे -भरे , छायादार; मराहिल : विश्राम-स्थल; जम्हूर : लोकतंत्र; बग़ावत : विद्रोह; उमरा : मंत्रिगण; ना-क़ाबिल : अयोग्य; शर्मिंदा : लज्जित; मुस्तक़बिल : भविष्य; हक़ : अधिकार; तोहफ़े : उपहार;
हासिल : अभिप्राप्ति।
आसां सी मुश्किल मत देना
कश्ती तूफां की आशिक़ है
मिटने को साहिल मत देना
दुश्मन वो: जो ईमां ले ले
कमज़र्फ़ मुक़ाबिल मत देना
मंज़िल के सदक़े गर्म लहू
सरसब्ज़ मराहिल मत देना
जम्हूर बग़ावत कर देगा
उमरा ना -क़ाबिल मत देना
सदियां हम पर शर्मिंदा हों
ऐसा मुस्तक़बिल मत देना
हक़ से लेंगे लड़ कर लेंगे
तोहफ़े में हासिल मत देना !
(2019)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आसां : सरल; कश्ती : नाव; तूफ़ां : झंझावात; आशिक़ : आसक्त; साहिल : तट; ईमां : आस्था; कमज़र्फ़ : ओछा; मुक़ाबिल : समक्ष, प्रतिद्वंदी; मंज़िल : लक्ष्य; सदक़े : न्यौछावर; लहू : रक्त; सरसब्ज़ : हरे -भरे , छायादार; मराहिल : विश्राम-स्थल; जम्हूर : लोकतंत्र; बग़ावत : विद्रोह; उमरा : मंत्रिगण; ना-क़ाबिल : अयोग्य; शर्मिंदा : लज्जित; मुस्तक़बिल : भविष्य; हक़ : अधिकार; तोहफ़े : उपहार;
हासिल : अभिप्राप्ति।
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