साफ़ मौसम के लिए कुछ कीजिए
ज़ुल्फ़ के ख़म के लिए कुछ कीजिए
दुश्मनों पर सर्फ़ करते हो वफ़ा
काश ! हमदम के लिए कुछ कीजिए
ताक़यामत तोड़ना मुमकिन न हो
उन मरासिम के लिए कुछ कीजिए
दर्द हो थोड़ा-बहुत तो झेल लें
शिद्दते-ग़म के लिए कुछ कीजिए
ज़ख़्म देने थे जिन्हें वो: दे चुके
आप मरहम के लिए कुछ कीजिए
ज़र्द क्यूं हो बाग़ियों का हौसला
सुर्ख़ परचम के लिए कुछ कीजिए
मौत घर के सामने तक आ गई
ख़ैर मक़दम के लिए कुछ कीजिए !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ज़ुल्फ़ के ख़म : लटों का घुंघरालापन ; सर्फ़ : व्यय; वफ़ा : आस्था; काश : अच्छा हो यदि; हमदम : अंत तक साथ निभाने वाले ; ताक़यामत : प्रलय होने तक : मुमकिन : संभव ; मरासिम : स्नेह संबंधों ; शिद्दते-ग़म : दु:ख की तीव्रता ; ज़ख़्म : घाव ; ज़र्द : पीला, मलिन; बाग़ियों : विद्रोहियों; हौसला : उत्साह; सुर्ख़ परचम : लाल ध्वजा ; ख़ैर मक़दम : स्वागत l
ज़ुल्फ़ के ख़म के लिए कुछ कीजिए
दुश्मनों पर सर्फ़ करते हो वफ़ा
काश ! हमदम के लिए कुछ कीजिए
ताक़यामत तोड़ना मुमकिन न हो
उन मरासिम के लिए कुछ कीजिए
दर्द हो थोड़ा-बहुत तो झेल लें
शिद्दते-ग़म के लिए कुछ कीजिए
ज़ख़्म देने थे जिन्हें वो: दे चुके
आप मरहम के लिए कुछ कीजिए
ज़र्द क्यूं हो बाग़ियों का हौसला
सुर्ख़ परचम के लिए कुछ कीजिए
मौत घर के सामने तक आ गई
ख़ैर मक़दम के लिए कुछ कीजिए !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ज़ुल्फ़ के ख़म : लटों का घुंघरालापन ; सर्फ़ : व्यय; वफ़ा : आस्था; काश : अच्छा हो यदि; हमदम : अंत तक साथ निभाने वाले ; ताक़यामत : प्रलय होने तक : मुमकिन : संभव ; मरासिम : स्नेह संबंधों ; शिद्दते-ग़म : दु:ख की तीव्रता ; ज़ख़्म : घाव ; ज़र्द : पीला, मलिन; बाग़ियों : विद्रोहियों; हौसला : उत्साह; सुर्ख़ परचम : लाल ध्वजा ; ख़ैर मक़दम : स्वागत l
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