मुफ़लिसी में अना ज़रूरी है
दोस्तों की दुआ ज़रूरी है
इश्क़ से डर हमें नहीं लगता
गो मुआफ़िक़ हवा ज़रूरी है
आप तड़पाएं या तसल्ली दें
दर्दे-दिल में शिफ़ा ज़रूरी है
शौक़ रखिए तबाह करने का
पर कहीं तो वफ़ा ज़रूरी है
बात दिल की हो या ज़माने की
साफ़ हो मुद्द'आ ज़रूरी है
जुर्म कब तक छुपाए रखिएगा
आख़िरत में सज़ा ज़रूरी है
मुर्शिदों का मयार पाने को
क्या फ़रेबे-ख़ुदा ज़रूरी है ?
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : मुफ़लिसी : निर्धनता; अना : स्वाभिमान; गो : यद्यपि; मुआफ़िक़ : स्वभावानुकूल; तसल्ली : सांत्वना; शिफ़ा : रोग-मुक्ति; मुद्द'आ : उचित विषय; जुर्म : अपराध; आख़िरत : परलोक, अंतिम परिणाम; मुर्शिदों : सिद्ध संतों; मयार : स्तर ।
दोस्तों की दुआ ज़रूरी है
इश्क़ से डर हमें नहीं लगता
गो मुआफ़िक़ हवा ज़रूरी है
आप तड़पाएं या तसल्ली दें
दर्दे-दिल में शिफ़ा ज़रूरी है
शौक़ रखिए तबाह करने का
पर कहीं तो वफ़ा ज़रूरी है
बात दिल की हो या ज़माने की
साफ़ हो मुद्द'आ ज़रूरी है
जुर्म कब तक छुपाए रखिएगा
आख़िरत में सज़ा ज़रूरी है
मुर्शिदों का मयार पाने को
क्या फ़रेबे-ख़ुदा ज़रूरी है ?
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : मुफ़लिसी : निर्धनता; अना : स्वाभिमान; गो : यद्यपि; मुआफ़िक़ : स्वभावानुकूल; तसल्ली : सांत्वना; शिफ़ा : रोग-मुक्ति; मुद्द'आ : उचित विषय; जुर्म : अपराध; आख़िरत : परलोक, अंतिम परिणाम; मुर्शिदों : सिद्ध संतों; मयार : स्तर ।
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