जो दानिशवर परिंदों की ज़ुबां को जानते हैं
यक़ीनन वो तिलिस्मे-आसमां को जानते हैं
तू कहता रह कि तू ख़ुद्दार है झुकता नहीं है
जहां वाले तेरे हर मेह्रबां को जानते हैं
वही बातें वही वादे वही बेरोज़गारी
वतन के नौजवां सब रहनुमां को जानते हैं
कहां नीयत कहां नज़रें कहां मंज़िल सफ़र की
सभी रस्ते अमीरे-कारवां को जानते हैं
खिलेंगे ख़ुद ब ख़ुद दिल में किसी दिन आपके भी
गुलो-.गुंचे मुहब्बत के निशां को जानते हैं
मेरी आवाज़ पर बंदिश लगा कर देख लीजे
फ़लक तक सब मेरे तर्ज़े-बयां को जानते हैं
तेरे अहकाम पर चलती नहीं मख़लूक़ तेरी
इलाही ! हम तेरे दर्दे-निहां को जानते हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दानिशवर : विद्वान; परिंदों : पक्षियों; ज़ुबां : भाषा; यक़ीनन : निस्संदेह, विश्वासपूर्वक; तिलिस्मे-आसमां: आकाश की माया; ख़ुद्दार : स्वाभिमानी; जहां वाले : संसार के लोग; मेह्रबां : अनुग्रही; नौजवां : युवा; रहनुमां : नेताओं; नीयत : आशय; नज़रें : दृष्टि; मंज़िल : लक्ष्य; सफ़र : यात्रा; अमीरे-कारवां : यात्री समूह का नायक; गुलो-.गुंचे : फूल और कलियां; निशां : चिह्नों; आवाज़: स्वर; बंदिश : रोक, प्रतिबंध; तर्जे-बयां : कथन-शैली; अहकाम : आदेशों; मख़लूक़ : सृष्टि; इलाही : (हे) ईश्वर; दर्दे-निहां : गुप्त/आंतरिक पीड़ा ।
यक़ीनन वो तिलिस्मे-आसमां को जानते हैं
तू कहता रह कि तू ख़ुद्दार है झुकता नहीं है
जहां वाले तेरे हर मेह्रबां को जानते हैं
वही बातें वही वादे वही बेरोज़गारी
वतन के नौजवां सब रहनुमां को जानते हैं
कहां नीयत कहां नज़रें कहां मंज़िल सफ़र की
सभी रस्ते अमीरे-कारवां को जानते हैं
खिलेंगे ख़ुद ब ख़ुद दिल में किसी दिन आपके भी
गुलो-.गुंचे मुहब्बत के निशां को जानते हैं
मेरी आवाज़ पर बंदिश लगा कर देख लीजे
फ़लक तक सब मेरे तर्ज़े-बयां को जानते हैं
तेरे अहकाम पर चलती नहीं मख़लूक़ तेरी
इलाही ! हम तेरे दर्दे-निहां को जानते हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दानिशवर : विद्वान; परिंदों : पक्षियों; ज़ुबां : भाषा; यक़ीनन : निस्संदेह, विश्वासपूर्वक; तिलिस्मे-आसमां: आकाश की माया; ख़ुद्दार : स्वाभिमानी; जहां वाले : संसार के लोग; मेह्रबां : अनुग्रही; नौजवां : युवा; रहनुमां : नेताओं; नीयत : आशय; नज़रें : दृष्टि; मंज़िल : लक्ष्य; सफ़र : यात्रा; अमीरे-कारवां : यात्री समूह का नायक; गुलो-.गुंचे : फूल और कलियां; निशां : चिह्नों; आवाज़: स्वर; बंदिश : रोक, प्रतिबंध; तर्जे-बयां : कथन-शैली; अहकाम : आदेशों; मख़लूक़ : सृष्टि; इलाही : (हे) ईश्वर; दर्दे-निहां : गुप्त/आंतरिक पीड़ा ।
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