वो तसव्वुफ़ पे वाज़ करते हैं
एहतरामे - अयाज़ करते हैं
दिल किसी काम आए तो रख लें
हम कहां ऐतराज़ करते हैं
सिर्फ़ इमदाद ही नहीं देते
ज़ुल्म भी दिलनवाज़ करते हैं
मुफ़्त इस्लाह छोड़िए साहब
नौजवां कब लिहाज़ करते हैं
शाह दिलदार हो गए जब से
शो'अरा की नियाज़ करते हैं
आड़ ले कर सफ़ेद दाढ़ी की
बदज़नी सरफ़राज़ करते हैं
बाग़े-रिज़्वां में बैठ कर मोमिन
आशिक़ी का रियाज़ करते हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : तसव्वुफ़ : सूफ़ी मत, मानव से प्रेम के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति संभव मानने वाला पंथ, सृष्टि की सभी रचनाओं में ईश्वर का वास मानने वाला संप्रदाय; वाज़ : प्रवचन, उपदेश; एहतरामे-अयाज़ : अयाज़ का सम्मान, अयाज़ सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त करने वाले सुल्तान महमूद ग़ज़नवी का दास था जिसके सौंदर्य पर मुग्ध हो कर महमूद ने उसे दासता से मुक्त कर अपनी मृत्यु तक साथ में रखा; ऐतराज़ : आपत्ति; इस्लाह : सुझाव देना; लिहाज़ : आदर, मर्यादा का ध्यान रखना; दिलदार : उदार; शो'अरा : शायरों; नियाज़ : मृतकों की आत्मा की शांति के लिए दिया जाने वाला दरिद्र भोज, भंडारा; बदज़नी : कुकर्म; सरफ़राज़ ; प्रतिष्ठित जन; बाग़े-रिज़्वां : जन्नत या स्वर्ग का उद्यान, जिसकी रक्षा रिज़्वान नाम का रक्षक करता है; मोमिन : ईश्वर के प्रति आस्तिक; रियाज़: अभ्यास ।
एहतरामे - अयाज़ करते हैं
दिल किसी काम आए तो रख लें
हम कहां ऐतराज़ करते हैं
सिर्फ़ इमदाद ही नहीं देते
ज़ुल्म भी दिलनवाज़ करते हैं
मुफ़्त इस्लाह छोड़िए साहब
नौजवां कब लिहाज़ करते हैं
शाह दिलदार हो गए जब से
शो'अरा की नियाज़ करते हैं
आड़ ले कर सफ़ेद दाढ़ी की
बदज़नी सरफ़राज़ करते हैं
बाग़े-रिज़्वां में बैठ कर मोमिन
आशिक़ी का रियाज़ करते हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : तसव्वुफ़ : सूफ़ी मत, मानव से प्रेम के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति संभव मानने वाला पंथ, सृष्टि की सभी रचनाओं में ईश्वर का वास मानने वाला संप्रदाय; वाज़ : प्रवचन, उपदेश; एहतरामे-अयाज़ : अयाज़ का सम्मान, अयाज़ सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त करने वाले सुल्तान महमूद ग़ज़नवी का दास था जिसके सौंदर्य पर मुग्ध हो कर महमूद ने उसे दासता से मुक्त कर अपनी मृत्यु तक साथ में रखा; ऐतराज़ : आपत्ति; इस्लाह : सुझाव देना; लिहाज़ : आदर, मर्यादा का ध्यान रखना; दिलदार : उदार; शो'अरा : शायरों; नियाज़ : मृतकों की आत्मा की शांति के लिए दिया जाने वाला दरिद्र भोज, भंडारा; बदज़नी : कुकर्म; सरफ़राज़ ; प्रतिष्ठित जन; बाग़े-रिज़्वां : जन्नत या स्वर्ग का उद्यान, जिसकी रक्षा रिज़्वान नाम का रक्षक करता है; मोमिन : ईश्वर के प्रति आस्तिक; रियाज़: अभ्यास ।
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