सुख़न में मिरे बेक़रारी मिलेगी
कहन में मगर रूहदारी मिलेगी
यहां कोई मासूम मिलता कहां है
जहां देखिए होशियारी मिलेगी
मचल कर ठिठक जाए दिल जिस गली में
वहीं राह तुमको हमारी मिलेगी
पिए जाएंगे हम बिना होश छोड़े
नज़र में जहां तक ख़ुमारी मिलेगी
निभाए न वादे वतन से जिन्होंने
उन्हें मात अबके क़रारी मिलेगी
न गांधी न गौतम न नेहरू न ईसा
बताएं कहां बुर्दवारी मिलेगी
संवर जाएगी शक्ल हिन्दोस्तां की
अगर सोच हमसे तुम्हारी मिलेगी !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सुख़न : साहित्य, रचनाएं ; बेक़रारी : व्यग्रता ; कहन : कथन-शैली ; रूहदारी : आत्मीयता; मासूम : अबोध ; होशियारी : चतुराई, चालाकी ; ख़ुमारी : मदिरता ; क़रारी ; सुनिश्चित, तगड़ी ; बुर्दवारी : सहनशीलता ।
कहन में मगर रूहदारी मिलेगी
यहां कोई मासूम मिलता कहां है
जहां देखिए होशियारी मिलेगी
मचल कर ठिठक जाए दिल जिस गली में
वहीं राह तुमको हमारी मिलेगी
पिए जाएंगे हम बिना होश छोड़े
नज़र में जहां तक ख़ुमारी मिलेगी
निभाए न वादे वतन से जिन्होंने
उन्हें मात अबके क़रारी मिलेगी
न गांधी न गौतम न नेहरू न ईसा
बताएं कहां बुर्दवारी मिलेगी
संवर जाएगी शक्ल हिन्दोस्तां की
अगर सोच हमसे तुम्हारी मिलेगी !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: सुख़न : साहित्य, रचनाएं ; बेक़रारी : व्यग्रता ; कहन : कथन-शैली ; रूहदारी : आत्मीयता; मासूम : अबोध ; होशियारी : चतुराई, चालाकी ; ख़ुमारी : मदिरता ; क़रारी ; सुनिश्चित, तगड़ी ; बुर्दवारी : सहनशीलता ।
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