बरसों के बाद आंख समंदर से मिली थी
क़िंदील जैसे माहे-मुनव्वर से मिली थी
बलवा कहीं हुआ तो कहीं आए ज़लज़ले
जिस दिन मेरी तहरीर तेरे घर से मिली थी
पेशानिए-हयात की सलवट न पूछिए
ठोकर हमें ये आपके ही दर से मिली थी
क़ातिल ! भुला के देख वही बद्दुआ कि जो
मक़्तूल की सदाए-चश्मे-तर से मिली थी
सैलाबे-ग़म से आप परेशां न होइए
जीने की अदा नूह को महशर से मिली थी
अय काश ! हमें कोई बिठा दे उसी जगह
गर्दन जहां हुसैन की ख़ंजर से मिली थी
जिस रात कोहे-तूर कोहे-नूर हो गया
वो रात फ़क़ीरों को मुक़द्दर से मिली थी !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: समंदर : समुद्र; क़िंदील : आकाशदीप; माहे-मुनव्वर: उज्ज्वल चंद्रमा, पूर्ण चंद्र; बलवा : दंगा, उपद्रव; ज़लज़ले: भूकंप (बहुव.); तहरीर : हस्तलिपि में लिखित पत्र; पेशानिए-हयात : जीवन-रूपी शरीर का मस्तक; दर: द्वार; क़ातिल : (ओ) हत्यारे; बद्दुआ : श्राप; मक़्तूल : हत् व्यक्ति; सदाए-चश्मे-तर : भीगे नयनों का निवेदन, कातर दृष्टि; सैलाबे-ग़म : दुःखों की बाढ़; परेशां: चिंतित, व्याकुल; अदा : शैली; नूह: इस्लाम में हज़रत नूह, ईसाइयत में हज़रत नोहा, भारतीय मिथक शास्त्र में महर्षि मनु, जिनके संबंध में मिथक है कि उन्होंने महाप्रलय में एक विशाल नौका बना कर जीवन की संभावना को जीवित रखा; महशर: महाप्रलय; अय काश :कामना है कि; हुसैन: हज़रत इमाम हुसैन अ. स., जिन्होंने कर्बला के न्याय-युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी; ख़ंजर : क्षुरी; कोहे-तूर : मिथक के अनुसार, प्राचीन अरब के साम प्रांत में सीना नामक घाटी में स्थित एक कृष्ण-वर्णी पर्वत, भावांतर से अंधकार / अज्ञान का पर्वत, जहां हज़रत मूसा अ. स. को ईश्वर के प्रकाश की छटा दिखाई दी थी; कोहे-नूर: प्रकाश-पर्वत; फ़क़ीरों : संतों, यहां हज़रत मूसा अ.स.; मुक़द्दर: सौभाग्य।
क़िंदील जैसे माहे-मुनव्वर से मिली थी
बलवा कहीं हुआ तो कहीं आए ज़लज़ले
जिस दिन मेरी तहरीर तेरे घर से मिली थी
पेशानिए-हयात की सलवट न पूछिए
ठोकर हमें ये आपके ही दर से मिली थी
क़ातिल ! भुला के देख वही बद्दुआ कि जो
मक़्तूल की सदाए-चश्मे-तर से मिली थी
सैलाबे-ग़म से आप परेशां न होइए
जीने की अदा नूह को महशर से मिली थी
अय काश ! हमें कोई बिठा दे उसी जगह
गर्दन जहां हुसैन की ख़ंजर से मिली थी
जिस रात कोहे-तूर कोहे-नूर हो गया
वो रात फ़क़ीरों को मुक़द्दर से मिली थी !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: समंदर : समुद्र; क़िंदील : आकाशदीप; माहे-मुनव्वर: उज्ज्वल चंद्रमा, पूर्ण चंद्र; बलवा : दंगा, उपद्रव; ज़लज़ले: भूकंप (बहुव.); तहरीर : हस्तलिपि में लिखित पत्र; पेशानिए-हयात : जीवन-रूपी शरीर का मस्तक; दर: द्वार; क़ातिल : (ओ) हत्यारे; बद्दुआ : श्राप; मक़्तूल : हत् व्यक्ति; सदाए-चश्मे-तर : भीगे नयनों का निवेदन, कातर दृष्टि; सैलाबे-ग़म : दुःखों की बाढ़; परेशां: चिंतित, व्याकुल; अदा : शैली; नूह: इस्लाम में हज़रत नूह, ईसाइयत में हज़रत नोहा, भारतीय मिथक शास्त्र में महर्षि मनु, जिनके संबंध में मिथक है कि उन्होंने महाप्रलय में एक विशाल नौका बना कर जीवन की संभावना को जीवित रखा; महशर: महाप्रलय; अय काश :कामना है कि; हुसैन: हज़रत इमाम हुसैन अ. स., जिन्होंने कर्बला के न्याय-युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी; ख़ंजर : क्षुरी; कोहे-तूर : मिथक के अनुसार, प्राचीन अरब के साम प्रांत में सीना नामक घाटी में स्थित एक कृष्ण-वर्णी पर्वत, भावांतर से अंधकार / अज्ञान का पर्वत, जहां हज़रत मूसा अ. स. को ईश्वर के प्रकाश की छटा दिखाई दी थी; कोहे-नूर: प्रकाश-पर्वत; फ़क़ीरों : संतों, यहां हज़रत मूसा अ.स.; मुक़द्दर: सौभाग्य।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10 - 12 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2186 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत खूब लिखा आपने..
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