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शनिवार, 21 नवंबर 2015

मंहगी मरम्मते-दिल ...

मिल  जाए  तो  ज़माना  लुट  जाए  तो  गया  क्या
फ़ानी  निज़ाम  हैं  सब   मिट  जाएं,  मुद्द'आ  क्या !

हम   इश्क़  के  लिए   तो  हरग़िज़    नहीं  बने   हैं
जिस  गांव   नहीं  जाना    अच्छा-बुरा-भला  क्या

मंहगी     मरम्मते-दिल     कब  तक   कराइएगा
अख़राच   के  मुताबिक़  कुछ  फ़ायदा  लगा  क्या

आज़ार  जिस्मो-दिल  का  हो  तो  इलाज  कर  लें
जो  रूह  पर  लगा  हो  उस  ज़ख़्म  की  दवा  क्या

सुनते   हैं    शाह    फ़र्ज़ी   जन्नत     बना  रहा  है
शद्दाद    के  शह्र    से   मोमिन   का   वास्ता  क्या

उसकी   नवाज़िशों   की   किसको   ग़रज़  नहीं  है
कर  दे   वही   करम  है   वरना   भरम   रहा  क्या

मश्हूर  है   कि  सबकी   सुनता  है   अर्श  पर   वो
देता   है   तो  सक़ी  है   लेता   है   तो   ख़ुदा  क्या  !

                                                                                                     (2015)

                                                                                             -सुरेश  स्वप्निल 

शब्दार्थ: ज़माना:संसार; फ़ानी: नश्वर; निज़ाम : प्रबंध; मुद्द'आ: विवाद का विषय; हरग़िज़: नितांत;    मरम्मते-दिल : हृदय की शल्य-क्रिया; अख़राच :व्यायादि; मुताबिक़ : अनुरूप; आज़ार : रोग; जिस्मो-दिल : शरीर और हृदय; रूह: आत्मा; ज़ख़्म : घाव; फ़र्ज़ी : कृत्रिम;  जन्नत : स्वर्ग; शद्दाद : अरब का एक मिथकीय राजा, स्व-घोषित 'ख़ुदा', जिसने कृत्रिम जन्नत का निर्माण कराया; शह्र : नगर; मोमिन:आस्तिक; वास्ता : संबंध; नवाज़िशों : कृपाओं; ग़रज़ : आवश्यकता; करम: दया; भरम : भ्रम; मश्हूर : प्रसिद्ध; अर्श : आकाश; सक़ी : दानी ।

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (21-11-2015) को "काँटें बिखरे हैं कानन में" (चर्चा-अंक 2168) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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