मुजरिम नक़ब लगा के जहांदार हो गए
हर सिम्त इंक़िलाब के आसार हो गए
मिल जाए माले-मुफ़्त मियां को किसी तरह
रहबर न बन सके तो रज़ाकार हो गए
मासूमियत की आज इंतेहा ही हो गई
सर काट कर जनाब अज़ादार हो गए
फ़िक्रे-जम्हूर थी कि मफ़ायद निगाह में
अख़बार बादशाह के मुख़्तार हो गए
लिख-लिख के दिल पे नाम मिटाते रहे हसीं
आशिक़ शदीद ग़म के इश्तिहार हो गए
वो ईद के दिन हमसे बग़लगीर क्या हुए
दस लोग ख़ुदकुशी को भी तैयार हो गए
ज़िद थी तो खैंच लाए उन्हें कोहे-तूर पर
गो वादिए-सीन: के गुनहगार हो गए !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुजरिम: अपराधी; नक़ब: सैंध; जहांदार: बादशाह, शासक; सिम्त: ओर; इंक़िलाब: क्रांति; आसार: संकेत, संभावना; माले-मुफ़्त: बिना मूल्य की वस्तुएं; रहबर: नेता; रज़ाकार; स्वयंसेवक; मासूमियत: अबोधता; इंतेहा: अति; अज़ादार: शोक मनाने वाले; फ़िक्रे-जम्हूर: लोकतंत्र की चिंता; मुख़्तार: प्रवक्ता; हसीं: सुंदर व्यक्ति; आशिक़: प्रेमी; शदीद: तीव्र, अत्यधिक; इश्तिहार: विज्ञापन; बग़लगीर होना: पार्श्व में आना, गले मिलना; ख़ुदकुशी: आत्म-हत्या; कोहे-तूर: मिस्र के साम क्षेत्र में सीना नामक घाटी में स्थित मिथकीय पर्वत, मिथक है कि वहां हज़रत मूसा अ.स. ने ख़ुदा का प्रकाश देखा था।
हर सिम्त इंक़िलाब के आसार हो गए
मिल जाए माले-मुफ़्त मियां को किसी तरह
रहबर न बन सके तो रज़ाकार हो गए
मासूमियत की आज इंतेहा ही हो गई
सर काट कर जनाब अज़ादार हो गए
फ़िक्रे-जम्हूर थी कि मफ़ायद निगाह में
अख़बार बादशाह के मुख़्तार हो गए
लिख-लिख के दिल पे नाम मिटाते रहे हसीं
आशिक़ शदीद ग़म के इश्तिहार हो गए
वो ईद के दिन हमसे बग़लगीर क्या हुए
दस लोग ख़ुदकुशी को भी तैयार हो गए
ज़िद थी तो खैंच लाए उन्हें कोहे-तूर पर
गो वादिए-सीन: के गुनहगार हो गए !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुजरिम: अपराधी; नक़ब: सैंध; जहांदार: बादशाह, शासक; सिम्त: ओर; इंक़िलाब: क्रांति; आसार: संकेत, संभावना; माले-मुफ़्त: बिना मूल्य की वस्तुएं; रहबर: नेता; रज़ाकार; स्वयंसेवक; मासूमियत: अबोधता; इंतेहा: अति; अज़ादार: शोक मनाने वाले; फ़िक्रे-जम्हूर: लोकतंत्र की चिंता; मुख़्तार: प्रवक्ता; हसीं: सुंदर व्यक्ति; आशिक़: प्रेमी; शदीद: तीव्र, अत्यधिक; इश्तिहार: विज्ञापन; बग़लगीर होना: पार्श्व में आना, गले मिलना; ख़ुदकुशी: आत्म-हत्या; कोहे-तूर: मिस्र के साम क्षेत्र में सीना नामक घाटी में स्थित मिथकीय पर्वत, मिथक है कि वहां हज़रत मूसा अ.स. ने ख़ुदा का प्रकाश देखा था।
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