औरों में और हम में तबीयत का फ़र्क़ है
अंदाज़े-गुफ़्तगू का तरबियत का फ़र्क़ है
वो शाह हम फ़क़ीर वो बेज़ार हम मलंग
देखी-सुनी-निभाई हक़ीक़त का फ़र्क़ है
हम दिल में जा बसे वो लबे-चश्म रह गए
उस्तादो-ख़लीफ़ा की हिदायत का फ़र्क़ है
मिलते हैं हमसे वो तो सुलगते हैं दो जहां
कुछ है कहीं तो दिल की हरारत का फ़र्क़ है
कहते हैं कई लोग हमारी तरह ग़ज़ल
बस तर्ज़े-बयां और नफ़ासत का फ़र्क़ है
है शुक्र कि किरदार पे स्याही नहीं पड़ी
मां-बाप की दुआ-ओ-नसीहत का फ़र्क़ है
सुनता है मुअज़्ज़िन की मौलवी से क़ब्ल वो
आदाबे-बंदगी-ओ-मुहब्बत का फ़र्क़ है !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तबीयत: स्वभाव, प्रकृति; फ़र्क़: भेद, अंतर; अंदाज़े-गुफ़्तगू: वार्त्ता-शैली; तरबियत: शिक्षा-दीक्षा, संस्कार; फ़क़ीर: सन्यासी; बेज़ार: सदा अप्रसन्न; मलंग: हर स्थिति में प्रसन्न रहने वाला, सांसारिक चिंताओं से मुक्त; हक़ीक़त: यथार्थ; लबे-चश्म: आंख की कोर तक; उस्तादो-ख़लीफ़ा: गुरु जन और ईश्वर के दूत/हज़रत मुहम्मद साहब स.अ.व. के उत्तराधिकारी; हिदायत: निर्देश, आप्त वचन;
दो जहां: दोनों लोक, इहलोक-परलोक; हरारत: ऊष्मा; तर्ज़े-बयां: वर्णन-शैली; नफ़ासत: सुगढ़ता; शुक्र: धन्यवाद; किरदार: चरित्र, व्यक्तित्व; स्याही: कालिमा, कलंक; दुआ-ओ-नसीहत: शुभकामना और सीख; मुअज़्ज़िन: अज़ान देने वाला; मौलवी: धार्मिक शिक्षक, ब्रह्म-ज्ञानी; क़ब्ल: पूर्व; आदाबे-बंदगी-ओ-मुहब्बत: पूजा और प्रेम की नियमावली ।
अंदाज़े-गुफ़्तगू का तरबियत का फ़र्क़ है
वो शाह हम फ़क़ीर वो बेज़ार हम मलंग
देखी-सुनी-निभाई हक़ीक़त का फ़र्क़ है
हम दिल में जा बसे वो लबे-चश्म रह गए
उस्तादो-ख़लीफ़ा की हिदायत का फ़र्क़ है
मिलते हैं हमसे वो तो सुलगते हैं दो जहां
कुछ है कहीं तो दिल की हरारत का फ़र्क़ है
कहते हैं कई लोग हमारी तरह ग़ज़ल
बस तर्ज़े-बयां और नफ़ासत का फ़र्क़ है
है शुक्र कि किरदार पे स्याही नहीं पड़ी
मां-बाप की दुआ-ओ-नसीहत का फ़र्क़ है
सुनता है मुअज़्ज़िन की मौलवी से क़ब्ल वो
आदाबे-बंदगी-ओ-मुहब्बत का फ़र्क़ है !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तबीयत: स्वभाव, प्रकृति; फ़र्क़: भेद, अंतर; अंदाज़े-गुफ़्तगू: वार्त्ता-शैली; तरबियत: शिक्षा-दीक्षा, संस्कार; फ़क़ीर: सन्यासी; बेज़ार: सदा अप्रसन्न; मलंग: हर स्थिति में प्रसन्न रहने वाला, सांसारिक चिंताओं से मुक्त; हक़ीक़त: यथार्थ; लबे-चश्म: आंख की कोर तक; उस्तादो-ख़लीफ़ा: गुरु जन और ईश्वर के दूत/हज़रत मुहम्मद साहब स.अ.व. के उत्तराधिकारी; हिदायत: निर्देश, आप्त वचन;
दो जहां: दोनों लोक, इहलोक-परलोक; हरारत: ऊष्मा; तर्ज़े-बयां: वर्णन-शैली; नफ़ासत: सुगढ़ता; शुक्र: धन्यवाद; किरदार: चरित्र, व्यक्तित्व; स्याही: कालिमा, कलंक; दुआ-ओ-नसीहत: शुभकामना और सीख; मुअज़्ज़िन: अज़ान देने वाला; मौलवी: धार्मिक शिक्षक, ब्रह्म-ज्ञानी; क़ब्ल: पूर्व; आदाबे-बंदगी-ओ-मुहब्बत: पूजा और प्रेम की नियमावली ।
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