तुम्हारी बेनियाज़ी से अगर दिल टूट जाए, तो ?
कोई कमबख़्त दीवाना हमारे सर को आए तो ?
मक़ासिद आपके ज़ाहिर नहीं हैं आज भी सब पर
नियत पर आपकी कोई कभी उंगली उठाए तो ?
हमें शक़ तो नहीं है दोस्तों की दिलनवाज़ी पर
मगर कोई कहीं हमको अकेले में बुलाए, तो ?
कहो तो आज ही कर लें गरेबां चाक हम अपना
हमारी याद आ आ कर तुम्हें कल को सताए, तो ?
कोई नादिर कोई चंगेज़ हो तो सब्र भी कर लें
शहंशाहे-वतन ही मुल्क की दौलत लुटाए, तो ?
हमें भी कम नहीं है शौक़ यूं सज्दागुज़ारी का
ख़ुदा लेकिन अदावत का कभी रिश्ता निभाए, तो ?
ख़ुदा जिस रोज़ चाहे बंदगी का इम्तिहां मांगे
अगर बंदा ख़ुदा की हैसियत को आज़माए, तो ?
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेनियाज़ी: उपेक्षा; कमबख़्त दीवाना: अभागा प्रेमी; सर को आए: पीछे पड़े; मक़ासिद: मक़सद का बहुवचन, उद्देश्य; ज़ाहिर: प्रकट; नियत: आशय; शक़: संदेह; दिलनवाज़ी: मैत्री; गरेबां: कंठ; चाक: काट लेना; नादिर: ईरान का एक मध्य-युगीन आक्रामक शासक, लुटेरा, जिसने दिल्ली को लूटा था; चंगेज़: चंगेज़ ख़ान, मंगोलिया का शासक जिसे इतिहास का क्रूरतम आक्रमणकारी, महान योद्धा, लेकिन लुटेरा राजा माना जाता है; सब्र: संतोष, धैर्य; सज्दागुज़ारी: नतमस्तक होकर प्रार्थना करना; अदावत: शत्रुता; बंदगी: भक्ति; हैसियत: प्रास्थिति ।
कोई कमबख़्त दीवाना हमारे सर को आए तो ?
मक़ासिद आपके ज़ाहिर नहीं हैं आज भी सब पर
नियत पर आपकी कोई कभी उंगली उठाए तो ?
हमें शक़ तो नहीं है दोस्तों की दिलनवाज़ी पर
मगर कोई कहीं हमको अकेले में बुलाए, तो ?
कहो तो आज ही कर लें गरेबां चाक हम अपना
हमारी याद आ आ कर तुम्हें कल को सताए, तो ?
कोई नादिर कोई चंगेज़ हो तो सब्र भी कर लें
शहंशाहे-वतन ही मुल्क की दौलत लुटाए, तो ?
हमें भी कम नहीं है शौक़ यूं सज्दागुज़ारी का
ख़ुदा लेकिन अदावत का कभी रिश्ता निभाए, तो ?
ख़ुदा जिस रोज़ चाहे बंदगी का इम्तिहां मांगे
अगर बंदा ख़ुदा की हैसियत को आज़माए, तो ?
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेनियाज़ी: उपेक्षा; कमबख़्त दीवाना: अभागा प्रेमी; सर को आए: पीछे पड़े; मक़ासिद: मक़सद का बहुवचन, उद्देश्य; ज़ाहिर: प्रकट; नियत: आशय; शक़: संदेह; दिलनवाज़ी: मैत्री; गरेबां: कंठ; चाक: काट लेना; नादिर: ईरान का एक मध्य-युगीन आक्रामक शासक, लुटेरा, जिसने दिल्ली को लूटा था; चंगेज़: चंगेज़ ख़ान, मंगोलिया का शासक जिसे इतिहास का क्रूरतम आक्रमणकारी, महान योद्धा, लेकिन लुटेरा राजा माना जाता है; सब्र: संतोष, धैर्य; सज्दागुज़ारी: नतमस्तक होकर प्रार्थना करना; अदावत: शत्रुता; बंदगी: भक्ति; हैसियत: प्रास्थिति ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, संत वाणी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-05-2015) को "एक चिराग मुहब्बत का" {चर्चा - 1984} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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बहुत सुन्दर
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