दिल लगा कर मुकर गए मोहसिन
ख़ुशनसीबी से डर गए मोहसिन ?
कोई इल्ज़ाम तो दिया होता
सर झुका कर गुज़र गए मोहसिन
दर्द मेहमान की तरह आए
दाग़ बन कर ठहर गए, मोहसिन
आपको शाहे-दिल बनाया था
आप ही चोट कर गए, मोहसिन !
हम फ़क़त राह की शम्'अ ठहरे
नूर बन कर बिखर गए, मोहसिन
किसलिए मुल्क से जफ़ाएं कीं
ख़्वाब सारे बिखर गए, मोहसिन !
हम जहां अर्श तक चले आए
आप दिल से उतर गए, मोहसिन !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मोहसिन: अनुग्रहकर्त्ता; ख़ुशनसीबी: सौभाग्य; इल्ज़ाम: आरोप; दाग़: कलंक; शाहे-दिल: मन का राजा; फ़क़त: मात्र;
शम्'अ: दीपिका; जफ़ाएं: निष्ठाहीनता; अर्श: आकाश।
ख़ुशनसीबी से डर गए मोहसिन ?
कोई इल्ज़ाम तो दिया होता
सर झुका कर गुज़र गए मोहसिन
दर्द मेहमान की तरह आए
दाग़ बन कर ठहर गए, मोहसिन
आपको शाहे-दिल बनाया था
आप ही चोट कर गए, मोहसिन !
हम फ़क़त राह की शम्'अ ठहरे
नूर बन कर बिखर गए, मोहसिन
किसलिए मुल्क से जफ़ाएं कीं
ख़्वाब सारे बिखर गए, मोहसिन !
हम जहां अर्श तक चले आए
आप दिल से उतर गए, मोहसिन !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मोहसिन: अनुग्रहकर्त्ता; ख़ुशनसीबी: सौभाग्य; इल्ज़ाम: आरोप; दाग़: कलंक; शाहे-दिल: मन का राजा; फ़क़त: मात्र;
शम्'अ: दीपिका; जफ़ाएं: निष्ठाहीनता; अर्श: आकाश।
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