बेख़ुदी में किसी ने ख़ुदा कह दिया
तो हमें आपने सरफिरा कह दिया !
दुश्मनों के कलेजे सुलग जाएंगे
भूल से आपने दिलरुबा कह दिया
लोग जाने हमें क्या समझने लगे
आपकी नज़्म पर 'मरहबा' कह दिया
बेकरां रात में हिज्र की दास्तां
आपने बिन सुने बेवफ़ा कह दिया
ख़ुशबुओं की तरह अर्श तक छा गए
वो जिन्हें हमने बाद-ए-सबा कह दिया
दो-जहां की निगाहें बदल जाएंगी
गर हमें आपने अलविदा कह दिया
एक दिन इक अज़ाँ अनसुनी रह गई
आसमां ने हमें क्या न क्या कह दिया !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेख़ुदी: आत्म-विस्मृति; दिलरुबा: मन को जीतने वाला; नज़्म: कविता; मरहबा: धन्य, साधु; बेकरां: अंतहीन;
हिज्र की दास्तां: वियोग का आख्यान; बेवफ़ा: निष्ठाहीन; अर्श: आकाश; बाद-ए-सबा: प्रातः की शीतल समीर;
दो-जहां: दोनों लोक, इहलोक-परलोक; गर: यदि; अलविदा: अंतिम प्रणाम; आसमां: ईश्वर।
तो हमें आपने सरफिरा कह दिया !
दुश्मनों के कलेजे सुलग जाएंगे
भूल से आपने दिलरुबा कह दिया
लोग जाने हमें क्या समझने लगे
आपकी नज़्म पर 'मरहबा' कह दिया
बेकरां रात में हिज्र की दास्तां
आपने बिन सुने बेवफ़ा कह दिया
ख़ुशबुओं की तरह अर्श तक छा गए
वो जिन्हें हमने बाद-ए-सबा कह दिया
दो-जहां की निगाहें बदल जाएंगी
गर हमें आपने अलविदा कह दिया
एक दिन इक अज़ाँ अनसुनी रह गई
आसमां ने हमें क्या न क्या कह दिया !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेख़ुदी: आत्म-विस्मृति; दिलरुबा: मन को जीतने वाला; नज़्म: कविता; मरहबा: धन्य, साधु; बेकरां: अंतहीन;
हिज्र की दास्तां: वियोग का आख्यान; बेवफ़ा: निष्ठाहीन; अर्श: आकाश; बाद-ए-सबा: प्रातः की शीतल समीर;
दो-जहां: दोनों लोक, इहलोक-परलोक; गर: यदि; अलविदा: अंतिम प्रणाम; आसमां: ईश्वर।
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