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नासेह की तरह हुस्न-फ़रामोश नहीं हैं
ख़ुम भर के पी चुके हैं प' मदहोश नहीं हैं
ये: जाम-ए-हक़ीक़ी है ईनाम-ए-इबादत
वैसे हम आदतन शराबनोश नहीं हैं
हम काबुल-ओ-बग़दाद में येरूशलेम में
हमराह-ए-हक़ परस्त हैं ख़ामोश नहीं हैं
हम हैं तो कायनात-ए-इश्क़ है अभी क़ायम
सर हाथ पे रखते हैं दिल-फ़रोश नहीं हैं
हुस्न-ए-ख़ुदा के शहर में जलवे हैं आजकल
फिरते हैं सर-बरहना नक़बपोश नहीं हैं।
(5 दिसं . 2012)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: नासेह: उपदेशक; हुस्न-फ़रामोश: सौंदर्य की उपेक्षा करने वाले; ख़ुम: मद्य-भाण्ड; मदहोश: मदमत्त; जाम-ए-हक़ीक़ी: आध्यात्मिक मदिरा; ईनाम-ए-इबादत: पूजा का पुरस्कार; आदतन: प्रवृत्ति से; शराबनोश: मदिरा पीने वाले; हमराह-ए-हक़ परस्त: न्याय के लिए संघर्ष करने वालों के सहयात्री; कायनात-ए-इश्क़: प्रेम का संसार; दिल-फ़रोश: हृदय के व्यापारी, हृदय बेचने वाले; हुस्न-ए-ख़ुदा: ईश्वर का सौंदर्य; जलवे: दृश्य; सर-बरहना: बिना सिर ढंके, नंगे सिर; नक़बपोश: मुखावरण।
नासेह की तरह हुस्न-फ़रामोश नहीं हैं
ख़ुम भर के पी चुके हैं प' मदहोश नहीं हैं
ये: जाम-ए-हक़ीक़ी है ईनाम-ए-इबादत
वैसे हम आदतन शराबनोश नहीं हैं
हम काबुल-ओ-बग़दाद में येरूशलेम में
हमराह-ए-हक़ परस्त हैं ख़ामोश नहीं हैं
हम हैं तो कायनात-ए-इश्क़ है अभी क़ायम
सर हाथ पे रखते हैं दिल-फ़रोश नहीं हैं
हुस्न-ए-ख़ुदा के शहर में जलवे हैं आजकल
फिरते हैं सर-बरहना नक़बपोश नहीं हैं।
(5 दिसं . 2012)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: नासेह: उपदेशक; हुस्न-फ़रामोश: सौंदर्य की उपेक्षा करने वाले; ख़ुम: मद्य-भाण्ड; मदहोश: मदमत्त; जाम-ए-हक़ीक़ी: आध्यात्मिक मदिरा; ईनाम-ए-इबादत: पूजा का पुरस्कार; आदतन: प्रवृत्ति से; शराबनोश: मदिरा पीने वाले; हमराह-ए-हक़ परस्त: न्याय के लिए संघर्ष करने वालों के सहयात्री; कायनात-ए-इश्क़: प्रेम का संसार; दिल-फ़रोश: हृदय के व्यापारी, हृदय बेचने वाले; हुस्न-ए-ख़ुदा: ईश्वर का सौंदर्य; जलवे: दृश्य; सर-बरहना: बिना सिर ढंके, नंगे सिर; नक़बपोश: मुखावरण।
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