हर शख़्स जानता है दुश्वारियां हमारी
शाहों को खल रही हैं ख़ुद्दारियां हमारी
या तो क़ुबूल कर लें या हम कमाल कर दें
महदूद हैं यहीं तक ऐय्यारियां हमारी
ऐ चार:गर कभी तो ऐसी दवा बता दे
क़ाबू में कर सकें जो बीमारियां हमारी
तुम भी ग़लत नहीं हो हम भी बुरे नहीं हैं
किस बात की सज़ा हैं फिर दूरियां हमारी
अह् ले-सितम समझ लें फ़ातेह हों न हों हम
अबके शबाब पर हैं तैयारियां हमारी
सरकार जिस तरह से घुटनों पे आ गई है
तय है असर करेंगी बेज़ारियां हमारी
क्यूं सज्द:गर नहीं हम इस दौरे-ज़ालिमां में
क्या जानता नहीं वो: मजबूरियां हमारी !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शख़्स : व्यक्ति; दुश्वारियां: कठिनाइयां; ख़ुद्दारियां :स्वाभिमानी कार्य; क़ुबूल :स्वीकार; कमाल :चमत्कार; महदूद:सीमित: ऐय्यारियां :चतुराईयां; चार:गर :उपचारक; क़ाबू :नियंत्रण; सज़ा :दंड; बेज़ारियां :विमुखता, अप्रसन्नताएं; सज्द:गर :साष्टांग प्रणाम करने वाले; दौरे-ज़ालिमां :अत्याचारियों का काल।
शाहों को खल रही हैं ख़ुद्दारियां हमारी
या तो क़ुबूल कर लें या हम कमाल कर दें
महदूद हैं यहीं तक ऐय्यारियां हमारी
ऐ चार:गर कभी तो ऐसी दवा बता दे
क़ाबू में कर सकें जो बीमारियां हमारी
तुम भी ग़लत नहीं हो हम भी बुरे नहीं हैं
किस बात की सज़ा हैं फिर दूरियां हमारी
अह् ले-सितम समझ लें फ़ातेह हों न हों हम
अबके शबाब पर हैं तैयारियां हमारी
सरकार जिस तरह से घुटनों पे आ गई है
तय है असर करेंगी बेज़ारियां हमारी
क्यूं सज्द:गर नहीं हम इस दौरे-ज़ालिमां में
क्या जानता नहीं वो: मजबूरियां हमारी !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शख़्स : व्यक्ति; दुश्वारियां: कठिनाइयां; ख़ुद्दारियां :स्वाभिमानी कार्य; क़ुबूल :स्वीकार; कमाल :चमत्कार; महदूद:सीमित: ऐय्यारियां :चतुराईयां; चार:गर :उपचारक; क़ाबू :नियंत्रण; सज़ा :दंड; बेज़ारियां :विमुखता, अप्रसन्नताएं; सज्द:गर :साष्टांग प्रणाम करने वाले; दौरे-ज़ालिमां :अत्याचारियों का काल।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
आत्मविश्वास कैसे बनाये रखे