आज मौसम हमारा नहीं क्या करें
दोस्तों से गुज़ारा नहीं क्या करें
ज़ीस्त ने तो हमें ग़म दिए ही दिए
मौत से भी सहारा नहीं क्या करें
तीरगी को मिटाना हंसी-खेल है
पर शम्'.अ का इशारा नहीं क्या करें
हर क़दम पर मसाजिद मिलेंगी मगर
आशिक़ी का इदारा नहीं क्या करें
जिसने किरदार खेला कभी शाह का
फिर मुखौटा उतारा नहीं क्या करें
रिंद को क़ब्र की राह मंज़ूर है
शैख़ का घर गवारा नहीं क्या करें
आप भी दूर ही दूर बैठे रहे
अर्श ने भी पुकारा नहीं क्या करें !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गुज़ारा: निर्वाह; ज़ीस्त: जीवन; तीरगी: अंधकार; शम्'.अ: दीपिका; इशारा: संकेत; मसाजिद : मस्जिदें; आशिक़ी : प्रेम;
इदारा : संस्थान ; किरदार: पात्र, चरित्र; रिंद : पियक्कड़; क़ब्र : समाधि; शैख़: धर्म-भीरु; गवारा : स्वीकार।
दोस्तों से गुज़ारा नहीं क्या करें
ज़ीस्त ने तो हमें ग़म दिए ही दिए
मौत से भी सहारा नहीं क्या करें
तीरगी को मिटाना हंसी-खेल है
पर शम्'.अ का इशारा नहीं क्या करें
हर क़दम पर मसाजिद मिलेंगी मगर
आशिक़ी का इदारा नहीं क्या करें
जिसने किरदार खेला कभी शाह का
फिर मुखौटा उतारा नहीं क्या करें
रिंद को क़ब्र की राह मंज़ूर है
शैख़ का घर गवारा नहीं क्या करें
आप भी दूर ही दूर बैठे रहे
अर्श ने भी पुकारा नहीं क्या करें !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गुज़ारा: निर्वाह; ज़ीस्त: जीवन; तीरगी: अंधकार; शम्'.अ: दीपिका; इशारा: संकेत; मसाजिद : मस्जिदें; आशिक़ी : प्रेम;
इदारा : संस्थान ; किरदार: पात्र, चरित्र; रिंद : पियक्कड़; क़ब्र : समाधि; शैख़: धर्म-भीरु; गवारा : स्वीकार।
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