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गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

ग़ुरूर का पुतला ...

आजकल  कौन  घर  में  रहता  है
हर  दरिंदा  ख़बर  में  रहता  है

दिल  झुका  है  हुज़ूर  में  जिसके
वो  हसीं  किस  शहर  में  रहता  है

इश्क़ो-उन्सो-ख़ुलूस  का  रिश्ता
दोस्ती  की  बह् र  में  रहता  है

हक़परस्ती  शुऊर  है  जिसका
दुश्मनों  की  नज़र  में  रहता  है

शाह  है  या  ग़ुरूर  का  पुतला
किस  अना  के  असर  में  रहता  है

साथ  को  अस्लहे  ज़रूरी  हैं
शाह  किस  शै  के  डर  में  रहता  है

शान-शौकत  महज़  दिखावे  हैं
क्या  ख़ुदा  मालो-ज़र  में  रहता  है ?

                                                                  (2015)

                                                         -सुरेश  स्वप्निल

शब्दार्थ: दरिंदा: पशु-स्वभाव वाला; हुज़ूर: सम्मान; हसीं: सुंदर, प्रिय, यहां ईश्वर; इश्क़ो-उन्सो-ख़ुलूस: प्रेम,स्नेह और आत्मीयता; बह् र: छंद; हक़परस्ती: न्याय-प्रियता; शुऊर: विवेक, समझ; ग़ुरूर: घमंड; अना: अहंकार; अस्लहे: हथियार; शै: बात, व्यक्ति; शान-शौकत: भव्यता और समृद्धि; महज़: केवल; मालो-ज़र: धन-संपत्ति। 

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