फंस गए शैख़ पहली मुलाक़ात में
सर-ब-सज्दा पड़े हैं ख़राबात में
ठीक है मैकदा घर ख़ुदा का नहीं
क्या बुरा है यहां भी मुनाजात में
शाह मदहोश है तख़्त के ज़ो'म में
और लश्कर लगे हैं ख़ुराफ़ात में
ख़ूब जम्हूरियत ख़ूब तेरा अदल
रिंद की ज़िंदगी भीड़ के हाथ में
क़ातिलों के लबों पर लहू की चमक
जिस तरह गुलमोहर गर्म हालात में
मय्यते-यार है शान से आइए
जिस तरह लोग आते हैं बारात में
कास:-ए-वक़्त भर जाएगा जल्द ही
इस क़दर दर्द पाए हैं ख़ैरात में !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : शैख़ :मद्य विरोधी धर्मोपदेशक; सर-ब-सज्दा : भूमि तक सर झुका कर प्रणाम की मुद्रा में; ख़राबात : मदिरालय; मैकदा :मदिरालय;मुनाजात :प्रार्थना;ज़ो'म :घमंड;लश्कर :सेना(एं); ख़ुराफ़ात : उपद्रव; जम्हूरियत : लोकतंत्र; अदल : न्याय; रिंद : मद्यप; मय्यते-यार : मित्र की शवयात्रा; क़ातिलों : हत्यारों; लबों : होठों; :लहू: रक्त; हालात : ऋतु, वातावरण, परिस्थिति; कास:-ए-वक़्त : समय भिक्षा-पात्र; ख़ैरात : दान, भिक्षा।
सर-ब-सज्दा पड़े हैं ख़राबात में
ठीक है मैकदा घर ख़ुदा का नहीं
क्या बुरा है यहां भी मुनाजात में
शाह मदहोश है तख़्त के ज़ो'म में
और लश्कर लगे हैं ख़ुराफ़ात में
ख़ूब जम्हूरियत ख़ूब तेरा अदल
रिंद की ज़िंदगी भीड़ के हाथ में
क़ातिलों के लबों पर लहू की चमक
जिस तरह गुलमोहर गर्म हालात में
मय्यते-यार है शान से आइए
जिस तरह लोग आते हैं बारात में
कास:-ए-वक़्त भर जाएगा जल्द ही
इस क़दर दर्द पाए हैं ख़ैरात में !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : शैख़ :मद्य विरोधी धर्मोपदेशक; सर-ब-सज्दा : भूमि तक सर झुका कर प्रणाम की मुद्रा में; ख़राबात : मदिरालय; मैकदा :मदिरालय;मुनाजात :प्रार्थना;ज़ो'म :घमंड;लश्कर :सेना(एं); ख़ुराफ़ात : उपद्रव; जम्हूरियत : लोकतंत्र; अदल : न्याय; रिंद : मद्यप; मय्यते-यार : मित्र की शवयात्रा; क़ातिलों : हत्यारों; लबों : होठों; :लहू: रक्त; हालात : ऋतु, वातावरण, परिस्थिति; कास:-ए-वक़्त : समय भिक्षा-पात्र; ख़ैरात : दान, भिक्षा।