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बुधवार, 12 जून 2013

उसको ईमां दिया

इश्क़  ही  कर  लिया  तो  बुरा  क्या  किया
एक    सज्दा   किया  तो  बुरा  क्या  किया

आबे-ज़मज़म  को  ठुकरा  के  हमने  अगर
जामे-उल्फ़त  पिया   तो  बुरा  क्या  किया

जिस  पे  आशिक़  हैं  हम  उसके  लायक़  नहीं
उसने  अपना  लिया   तो  बुरा  क्या  किया

हमको  साक़ी  ने  दिल  से  लगा  के  अगर
चाक   दामन  सिया   तो  बुरा  क्या  किया

जिसको  अल्लाहो-अकबर  बताते  हैं  सब
उसको   ईमां   दिया   तो  बुरा  क्या  किया ?

                                                           ( 2013 )

                                                   -सुरेश  स्वप्निल 

शब्दार्थ: सज्दा: धरती पर सर झुका कर प्रणाम; आबे-ज़मज़म: पवित्र मक्का के एक आरोग्य दायक स्रोत का जल; जामे-उल्फ़त: प्रेम          का  पात्र; साक़ी: मदिरा देने वाला; चाक   दामन: फटा हुआ उत्तरीय, विदीर्ण हृदय; अल्लाहो-अकबर: सर्व-शक्तिमान ईश्वर।