किसलिए आप हमसे किनारा करें
फिर पलट कर हमीं को पुकारा करें
बात ख़ामोशियों से बनेगी नहीं
कुछ कहें, कुछ सुनें, कुछ इशारा करें
सांस घुटती है मंहगाइयों के तले
किस तरह मुफ़लिसी में गुज़ारा करें
सिर्फ़ चेहरे पे हरदम तवज्जो न हो
रूह के नक़्श को भी संवारा करें
नुस्ख़ :-ए-कीमिया हुस्ने-नायाब का :
आशिक़ों की बलाएं उतारा करें
तूर पर आ गए सुन के दिल की सदा
आज फिर वो करिश्मा दोबारा करें !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुफ़लिसी: निर्धनता; तवज्जो: ध्यान; नक़्श: आकृति; नुस्ख़ :-ए-कीमिया: रासायनिक योग; हुस्ने-नायाब: दुर्लभ सौंदर्य;
तूर: अरब के शाम क्षेत्र में एक मिथकीय पर्वत, जहां हज़रत मूसा स.अ. को ख़ुदा के प्रकाश की झलक मिली थी ।
फिर पलट कर हमीं को पुकारा करें
बात ख़ामोशियों से बनेगी नहीं
कुछ कहें, कुछ सुनें, कुछ इशारा करें
सांस घुटती है मंहगाइयों के तले
किस तरह मुफ़लिसी में गुज़ारा करें
सिर्फ़ चेहरे पे हरदम तवज्जो न हो
रूह के नक़्श को भी संवारा करें
नुस्ख़ :-ए-कीमिया हुस्ने-नायाब का :
आशिक़ों की बलाएं उतारा करें
तूर पर आ गए सुन के दिल की सदा
आज फिर वो करिश्मा दोबारा करें !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुफ़लिसी: निर्धनता; तवज्जो: ध्यान; नक़्श: आकृति; नुस्ख़ :-ए-कीमिया: रासायनिक योग; हुस्ने-नायाब: दुर्लभ सौंदर्य;
तूर: अरब के शाम क्षेत्र में एक मिथकीय पर्वत, जहां हज़रत मूसा स.अ. को ख़ुदा के प्रकाश की झलक मिली थी ।