आप चाहें तो चुरा लें दिल को
राज़दां ख़ास बना लें दिल को
उफ़! ये: गुस्ताख़ियां हसीनों की
जां बचाएं के: संभालें दिल को
ये: तरीक़ा अगर मुनासिब हो
आप दिन-रात उछालें दिल को
इश्क़ इतना बुरा नहीं शायद
लोग इक बार मना लें दिल को
है शहर में अदब अभी बाक़ी
राह में यूं न निकालें दिल को
है यही फ़र्ज़ भी, शराफ़त भी
बदगुमानी से बचा लें दिल को
छोड़ आए हैं आपके दर पर
काम आए तो उठा लें दिल को !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: राज़दां: रहस्य जानने वाला; गुस्ताख़ियां: धृष्टताएं; मुनासिब: उचित; अदब: शिष्टाचार; बदगुमानी: कु-धारणाएं; दर: द्वार ।
राज़दां ख़ास बना लें दिल को
उफ़! ये: गुस्ताख़ियां हसीनों की
जां बचाएं के: संभालें दिल को
ये: तरीक़ा अगर मुनासिब हो
आप दिन-रात उछालें दिल को
इश्क़ इतना बुरा नहीं शायद
लोग इक बार मना लें दिल को
है शहर में अदब अभी बाक़ी
राह में यूं न निकालें दिल को
है यही फ़र्ज़ भी, शराफ़त भी
बदगुमानी से बचा लें दिल को
छोड़ आए हैं आपके दर पर
काम आए तो उठा लें दिल को !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: राज़दां: रहस्य जानने वाला; गुस्ताख़ियां: धृष्टताएं; मुनासिब: उचित; अदब: शिष्टाचार; बदगुमानी: कु-धारणाएं; दर: द्वार ।
काफी उम्दा .....
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