जहां में आग लगी है तुम्हें ख़बर भी है
तुम्हारे दिल पे किसी बात का असर भी है
अभी है वक़्त मुरीदों की दुआएं ले लो
अदा है नाज़ भी है आपकी उमर भी है
सहर भी आएगी बादे-सबा भी आएगी
अभी बहार भी है और दीदावर भी है
समझ के सोच के पीना निगाहे-साक़ी से
ये: जाम राहते-जां ही नहीं ज़हर भी है
निखार दें नक़ूश आओ रू-ब-रू बैठो
हमारे पास आंख भी है और नज़र भी है
अभी से हार न मानो उम्मीद बाक़ी है
निज़ामे-कुहन के आगे नई सहर भी है
हमारा काम इबादत है हुस्न हो के: ख़ुदा
दुआ अगर है इधर तो असर उधर भी है
ख़ुदा ने ख़ूब संवारा है ख़ू-ए-शायर को
एक ही वक़्त सिकन्दर है दर-ब-दर भी है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ:
तुम्हारे दिल पे किसी बात का असर भी है
अभी है वक़्त मुरीदों की दुआएं ले लो
अदा है नाज़ भी है आपकी उमर भी है
सहर भी आएगी बादे-सबा भी आएगी
अभी बहार भी है और दीदावर भी है
समझ के सोच के पीना निगाहे-साक़ी से
ये: जाम राहते-जां ही नहीं ज़हर भी है
निखार दें नक़ूश आओ रू-ब-रू बैठो
हमारे पास आंख भी है और नज़र भी है
अभी से हार न मानो उम्मीद बाक़ी है
निज़ामे-कुहन के आगे नई सहर भी है
हमारा काम इबादत है हुस्न हो के: ख़ुदा
दुआ अगर है इधर तो असर उधर भी है
ख़ुदा ने ख़ूब संवारा है ख़ू-ए-शायर को
एक ही वक़्त सिकन्दर है दर-ब-दर भी है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ:
वाह, कई ज़बरदस्त शेरों से सजी एक बेहतरीन ग़ज़ल...
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