जोश का इम्तेहान हो जाए
आज ऊंची उड़ान हो जाए
वो: अगर मेहेरबान हो जाए
हर शहर हमज़ुबान हो जाए
काश गुज़रे चमन से बादे-सबा
ग़ुंच:-ए-दिल जवान हो जाए
खोल दें दिल कहीं सभी पे हम
घर बुतों की दुकान हो जाए
बर्फ़ पिघले ज़रा निगाहों की
हर तमन्ना बयान हो जाए
एक परवाज़ चाहिए दिल से
और सर आसमान हो जाए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ:
आज ऊंची उड़ान हो जाए
वो: अगर मेहेरबान हो जाए
हर शहर हमज़ुबान हो जाए
काश गुज़रे चमन से बादे-सबा
ग़ुंच:-ए-दिल जवान हो जाए
खोल दें दिल कहीं सभी पे हम
घर बुतों की दुकान हो जाए
बर्फ़ पिघले ज़रा निगाहों की
हर तमन्ना बयान हो जाए
एक परवाज़ चाहिए दिल से
और सर आसमान हो जाए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ:
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