आसमां यूं भी तेरे क़र्ज़ उतारे हमने
लहू-ए-दिल से कई हुस्न संवारे हमने
कहेगी वक़्ते-अज़ल रूह शुक्रिया तुझको
के: ये: लम्हात तेरे संग गुज़ारे हमने
जहां-जहां से भी गुज़रे तेरी दुआओं से
बुझा दिए हैं नफ़रतों के शरारे हमने
हमारे हक़ में फ़रिश्ते गवाहियाँ देंगे
दिए उन्हें भी बाज़ वक़्त सहारे हमने
ये: करिश्मा-ए-इश्क़ है के: सामने हो के
बदल दिए हैं बुरे वक़्त के धारे हमने
किया करें वो: शौक़ से हिजाब के दावे
दरख़्ते-तूर पे देखे हैं नज़ारे हमने !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आसमां: परलोक, विधाता; लहू-ए-दिल: ह्रदय का रक्त; हुस्न: सौन्दर्य; वक़्ते-अज़ल: मृत्यु के समय; रूह: आत्मा;
लम्हात: क्षण ( बहुव.); शरारे: चिंगारियां; फ़रिश्ते:ईश्वर के दूत; बाज़ वक़्त: समय पड़ने पर, अनेक बार; करिश्मा-ए-इश्क़: प्रेम का चमत्कार; हिजाब: आवरण में रहना, आवरण में रहने के नियम मानना; दरख़्ते-तूर: कोहे-तूर पर स्थित वह वृक्ष, जिसके पीछे
हज़रत मूसा अ.स. ने ख़ुदा के रूप ( प्रकाश ) की एक झलक देखी थी; नज़ारे: दर्शन, दृश्य।
लहू-ए-दिल से कई हुस्न संवारे हमने
कहेगी वक़्ते-अज़ल रूह शुक्रिया तुझको
के: ये: लम्हात तेरे संग गुज़ारे हमने
जहां-जहां से भी गुज़रे तेरी दुआओं से
बुझा दिए हैं नफ़रतों के शरारे हमने
हमारे हक़ में फ़रिश्ते गवाहियाँ देंगे
दिए उन्हें भी बाज़ वक़्त सहारे हमने
ये: करिश्मा-ए-इश्क़ है के: सामने हो के
बदल दिए हैं बुरे वक़्त के धारे हमने
किया करें वो: शौक़ से हिजाब के दावे
दरख़्ते-तूर पे देखे हैं नज़ारे हमने !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आसमां: परलोक, विधाता; लहू-ए-दिल: ह्रदय का रक्त; हुस्न: सौन्दर्य; वक़्ते-अज़ल: मृत्यु के समय; रूह: आत्मा;
लम्हात: क्षण ( बहुव.); शरारे: चिंगारियां; फ़रिश्ते:ईश्वर के दूत; बाज़ वक़्त: समय पड़ने पर, अनेक बार; करिश्मा-ए-इश्क़: प्रेम का चमत्कार; हिजाब: आवरण में रहना, आवरण में रहने के नियम मानना; दरख़्ते-तूर: कोहे-तूर पर स्थित वह वृक्ष, जिसके पीछे
हज़रत मूसा अ.स. ने ख़ुदा के रूप ( प्रकाश ) की एक झलक देखी थी; नज़ारे: दर्शन, दृश्य।
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