हमको तेरे विसाल का मौक़ा नहीं मिला
इस पर तुझे ख़याल का मौक़ा नहीं मिला
ताउम्र तेरी फ़िक्र हमें इस तरह रही
ख़ुद अपनी देखभाल का मौक़ा नहीं मिला
जो शख़्स मेरे साथ बहुत दूर तक चला
उससे भी अर्ज़े-हाल का मौक़ा नहीं मिला
एहसास था उसे कि मेरा दिल दुखा दिया
लेकिन उसे मलाल का मौक़ा नहीं मिला
अरमान था उन्हें कि मेरा सर झुका सकें
आंखों के इस्तेमाल का मौक़ा नहीं मिला
दिल की गली में आग लगाने चले थे वो
आशिक़ के घर बवाल का मौक़ा नहीं मिला
हमने ख़ुदा को तूर पे ला कर दिखा दिया
दुनिया को फिर सवाल का मौक़ा नहीं मिला !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थः विसाल: दर्शन; ख़याल: विचार, चिंता; शख़्स: व्यक्ति; अर्ज़े-हाल: स्थिति बताना; ताउम्र: आजीवन; एहसास: अनुभूति; मलाल: खेद; अरमान: इच्छा; इस्तेमाल: प्रयोग; आशिक़: प्रेमी; बवाल: उत्पात; तूर: अरब के साम क्षेत्र में एक मिथकीय पर्वत, जहां हज़रत मूसा अ. स. के बुलाने पर ईश्वर के प्रकट होने का आख्यान है।
इस पर तुझे ख़याल का मौक़ा नहीं मिला
ताउम्र तेरी फ़िक्र हमें इस तरह रही
ख़ुद अपनी देखभाल का मौक़ा नहीं मिला
जो शख़्स मेरे साथ बहुत दूर तक चला
उससे भी अर्ज़े-हाल का मौक़ा नहीं मिला
एहसास था उसे कि मेरा दिल दुखा दिया
लेकिन उसे मलाल का मौक़ा नहीं मिला
अरमान था उन्हें कि मेरा सर झुका सकें
आंखों के इस्तेमाल का मौक़ा नहीं मिला
दिल की गली में आग लगाने चले थे वो
आशिक़ के घर बवाल का मौक़ा नहीं मिला
हमने ख़ुदा को तूर पे ला कर दिखा दिया
दुनिया को फिर सवाल का मौक़ा नहीं मिला !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थः विसाल: दर्शन; ख़याल: विचार, चिंता; शख़्स: व्यक्ति; अर्ज़े-हाल: स्थिति बताना; ताउम्र: आजीवन; एहसास: अनुभूति; मलाल: खेद; अरमान: इच्छा; इस्तेमाल: प्रयोग; आशिक़: प्रेमी; बवाल: उत्पात; तूर: अरब के साम क्षेत्र में एक मिथकीय पर्वत, जहां हज़रत मूसा अ. स. के बुलाने पर ईश्वर के प्रकट होने का आख्यान है।
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