शाह पर एतबार किसको है
ये: दिमाग़ी बुख़ार किसको है
हाकिमों की अदा गवाही है
हैसियत का ख़ुमार किसको है
ज़ार सबको थमा गया कासा
दिक़्क़ते-रोज़गार किसको है
थक गए जिस्म .गुंच:-ओ-गुल के
अब उमीदे-बहार किसको है
हम फ़क़ीरी में मस्त हैं अपनी
चाहते-इक़्तिदार किसको है
मौत सफ़ में लगा गई जबसे
ज़ीस्त का इंतज़ार किसको है
देख लेंगे नमाज़ भी पढ़ कर
आस्मां पर क़रार किसको है !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थः एतबार: विश्वास; हाकिमों: सत्ताधारियों, अधिकारियों; अदा: भंगिमा; गवाही: साक्ष्य; हैसियत: प्रास्थिति; ख़ुमार: मद; ज़ार: अत्याचारी शासक; कासा: भिक्षा-पात्र; दिक़्क़ते-रोज़गार: आजीविका की कठिनाई; जिस्म: शरीर; .गुंच:-ओ-गुल: कलियां और फूल; उमीदे-बहार: बसंत की आशा; फ़क़ीरी: सधुक्कड़ी, निर्धनता; चाहते-इक़्तिदार: सत्ता-प्राप्ति की इच्छा; सफ़: पंक्ति; ज़ीस्त: जीवन; क़रार: आश्वस्ति।
ये: दिमाग़ी बुख़ार किसको है
हाकिमों की अदा गवाही है
हैसियत का ख़ुमार किसको है
ज़ार सबको थमा गया कासा
दिक़्क़ते-रोज़गार किसको है
थक गए जिस्म .गुंच:-ओ-गुल के
अब उमीदे-बहार किसको है
हम फ़क़ीरी में मस्त हैं अपनी
चाहते-इक़्तिदार किसको है
मौत सफ़ में लगा गई जबसे
ज़ीस्त का इंतज़ार किसको है
देख लेंगे नमाज़ भी पढ़ कर
आस्मां पर क़रार किसको है !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थः एतबार: विश्वास; हाकिमों: सत्ताधारियों, अधिकारियों; अदा: भंगिमा; गवाही: साक्ष्य; हैसियत: प्रास्थिति; ख़ुमार: मद; ज़ार: अत्याचारी शासक; कासा: भिक्षा-पात्र; दिक़्क़ते-रोज़गार: आजीविका की कठिनाई; जिस्म: शरीर; .गुंच:-ओ-गुल: कलियां और फूल; उमीदे-बहार: बसंत की आशा; फ़क़ीरी: सधुक्कड़ी, निर्धनता; चाहते-इक़्तिदार: सत्ता-प्राप्ति की इच्छा; सफ़: पंक्ति; ज़ीस्त: जीवन; क़रार: आश्वस्ति।
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