इज़्हार से हमें तो अना रोक रही है
अब आप कहें किसकी वफ़ा रोक रही है
कल तक वो बेक़रार रहे वस्ल के लिए
हैरत है उन्हें आज हया रोक रही है
बंदिश नहीं है कोई ग़ज़लगोई पर यहां
बस हमको मुंतज़िम की अदा रोक रही है
मक़्तूल के अज़ीज़ परेशां हैं दर ब दर
सरकार क़ातिलों की सज़ा रोक रही है
आने में ऐतराज़ नहीं है बहार को
ऐ शाह ! नफ़्रतों की हवा रोक रही है
आसां नहीं है सैले-तीरगी को थामना
क्या ख़ूब कि नन्ही-सी शम्'.अ रोक रही है
तैयार नहीं अर्श हमारे लिए अभी
हमको भी दोस्तों की दुआ रोक रही है !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : इज़्हार :(प्रेम की) स्वीकारोक्ति ; अना : आत्मसम्मान ; वफ़ा : निष्ठा ; बेक़रार : व्यग्र ; वस्ल :मिलन ;
हैरत : आश्चर्य ; हया : लज्जा ; बंदिश : बंधन, प्रतिबंध ; ग़ज़लगोई : ग़ज़ल कहना ; मुंतज़िम : व्यवस्थापक ; अदा : भंगिमा ; मक़्तूल : वधित व्यक्ति ; अज़ीज़ : प्रिय जन ; दर ब दर : द्वार-द्वार ; क़ातिलों : हत्यारों ; ऐतराज़ : आपत्ति ; बहार : बसंत ; नफ़्रतों : घृणाओं ; आसां : सरल ; सैले-तीरगी : अंधकार का प्रवाह ; शम्'.अ : दीपिका ;
अर्श : आकाश, परलोक ।
अब आप कहें किसकी वफ़ा रोक रही है
कल तक वो बेक़रार रहे वस्ल के लिए
हैरत है उन्हें आज हया रोक रही है
बंदिश नहीं है कोई ग़ज़लगोई पर यहां
बस हमको मुंतज़िम की अदा रोक रही है
मक़्तूल के अज़ीज़ परेशां हैं दर ब दर
सरकार क़ातिलों की सज़ा रोक रही है
आने में ऐतराज़ नहीं है बहार को
ऐ शाह ! नफ़्रतों की हवा रोक रही है
आसां नहीं है सैले-तीरगी को थामना
क्या ख़ूब कि नन्ही-सी शम्'.अ रोक रही है
तैयार नहीं अर्श हमारे लिए अभी
हमको भी दोस्तों की दुआ रोक रही है !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : इज़्हार :(प्रेम की) स्वीकारोक्ति ; अना : आत्मसम्मान ; वफ़ा : निष्ठा ; बेक़रार : व्यग्र ; वस्ल :मिलन ;
हैरत : आश्चर्य ; हया : लज्जा ; बंदिश : बंधन, प्रतिबंध ; ग़ज़लगोई : ग़ज़ल कहना ; मुंतज़िम : व्यवस्थापक ; अदा : भंगिमा ; मक़्तूल : वधित व्यक्ति ; अज़ीज़ : प्रिय जन ; दर ब दर : द्वार-द्वार ; क़ातिलों : हत्यारों ; ऐतराज़ : आपत्ति ; बहार : बसंत ; नफ़्रतों : घृणाओं ; आसां : सरल ; सैले-तीरगी : अंधकार का प्रवाह ; शम्'.अ : दीपिका ;
अर्श : आकाश, परलोक ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें