सर झुका कर न आऊंगा दर पर
मत बुला ऐ ख़ुदा ! मुझे घर पर
वक़्त किसको हसीन समझेगा
है मुनहसर मिज़ाजे-मंज़र पर
कोई मेहमां-ए -ख़ास ही होगा
रंग जिसका चढ़ा है चादर पर
शैख़ ईमान बेच आए हैं
आज नीयत लगी है साग़र पर
आस्तीं साफ़ कीजिए साहब
ख़ून कुछ लिख गया है ख़ंजर पर
देख लेंगे ग़ुरूर शाहों का
जब मिलेंगे वो रोज़े-महशर पर
तश्न : लब अब्र क्या सफ़ाई दें
अब भरोसा नहीं समंदर पर !
(2016)
- सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : हसीन : सुंदर ; मुनहसर : निर्भर ; मिज़ाजे-मंज़र : दृश्य की प्रकृति, परिदृश्य ; मेहमां-ए -ख़ास : विशिष्ट अतिथि ; रंग : प्रभाव ; चादर : हृदय, हृदयावरण , स्वभाव ; शैख़ : धर्मोपदेशक ; ईमान : आस्था ; साग़र : मदिरा-पात्र ; आस्तीं : भुजा ; ख़ंजर : क्षुरा ; ग़ुरूर : अभिमान ; रोज़े-महशर : प्रलय के दिन ; तश्न : लब : प्यासे होंठ ; अब्र : मेघ ; सफ़ाई : स्पष्टीकरण ।
मत बुला ऐ ख़ुदा ! मुझे घर पर
वक़्त किसको हसीन समझेगा
है मुनहसर मिज़ाजे-मंज़र पर
कोई मेहमां-ए -ख़ास ही होगा
रंग जिसका चढ़ा है चादर पर
शैख़ ईमान बेच आए हैं
आज नीयत लगी है साग़र पर
आस्तीं साफ़ कीजिए साहब
ख़ून कुछ लिख गया है ख़ंजर पर
देख लेंगे ग़ुरूर शाहों का
जब मिलेंगे वो रोज़े-महशर पर
तश्न : लब अब्र क्या सफ़ाई दें
अब भरोसा नहीं समंदर पर !
(2016)
- सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : हसीन : सुंदर ; मुनहसर : निर्भर ; मिज़ाजे-मंज़र : दृश्य की प्रकृति, परिदृश्य ; मेहमां-ए -ख़ास : विशिष्ट अतिथि ; रंग : प्रभाव ; चादर : हृदय, हृदयावरण , स्वभाव ; शैख़ : धर्मोपदेशक ; ईमान : आस्था ; साग़र : मदिरा-पात्र ; आस्तीं : भुजा ; ख़ंजर : क्षुरा ; ग़ुरूर : अभिमान ; रोज़े-महशर : प्रलय के दिन ; तश्न : लब : प्यासे होंठ ; अब्र : मेघ ; सफ़ाई : स्पष्टीकरण ।
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